चेन्नई: तमिलनाडु सरकार के वन मंत्री के. पोनमुडी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हिंदू धर्म के खिलाफ अभद्र टिप्पणी के मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ तुरंत FIR दर्ज करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुलिस को चेतावनी दी कि अगर FIR दर्ज नहीं हुई तो प्रशासन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। साथ ही, डीजीपी को एक्शन रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
कोर्ट में चला वीडियो, जज ने जताई नाराजगी
गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में पोनमुडी का वह विवादित भाषण चलाया गया, जिसमें उन्होंने सनातन तिलक की तुलना सेक्स पोजीशन से की और शैव-वैष्णव समुदायों पर अभद्र टिप्पणी की। वीडियो देखने के बाद जज ने कहा, “मंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। यह कमान से निकले तीर जैसा है, अब माफी का कोई मतलब नहीं।” कोर्ट ने साफ किया कि भ्रष्टाचार और हेट स्पीच बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
क्या है मामला?
पोनमुडी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में तिलक को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और चुटकुले सुनाए, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया। बीजेपी नेता अन्नामलाई ने इसे लेकर डीएमके पर निशाना साधा और पोनमुडी को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग की। विवाद बढ़ने पर डीएमके ने पोनमुडी को पार्टी के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी पद से हटा दिया। पोनमुडी ने अपने बयान पर माफी मांगी, लेकिन कोर्ट ने इसे नाकाफी माना।
कोर्ट का सख्त रुख
जज ने कहा कि अगर कोई आम व्यक्ति ऐसा बयान देता, तो उसके खिलाफ अब तक दर्जनों केस दर्ज हो चुके होते। कोर्ट ने अभिनेत्री कश्तूरी, बीजेपी नेता एच. राजा और अन्नामलाई के खिलाफ पहले हुई कार्रवाइयों का हवाला देते हुए कहा कि हेट स्पीच के मामले में शिकायत न होने पर भी केस दर्ज होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने एक ही FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
पृष्ठभूमि और अन्य आरोप
पोनमुडी हाल ही में आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी हुए थे, जिसके बाद उनके खिलाफ यह PIL दाखिल की गई थी। बीजेपी ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया और डीएमके पर हिंदू धर्म के अपमान का आरोप लगाया। कोर्ट के आदेश के बाद अब पुलिस पर पोनमुडी के खिलाफ FIR दर्ज करने का दबाव है। इस मामले में डीजीपी की एक्शन रिपोर्ट और आगे की कानूनी कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हैं।