बिहार में प्रशासनिक सेवाओं की साख पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, जहां 6 IAS और IPS अधिकारी भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों में फंसे हुए हैं। इनमें से एक IAS जेल में बंद हैं, एक IPS जमानत पर हैं, जबकि 4 अधिकारियों को महत्वपूर्ण सरकारी पद दिए गए हैं।
- स्कॉलरशिप घोटाले का आरोपी बना BPSC चेयरमैन
IAS परमार रवि मनुभाई, जो महादलित विकास मिशन स्कॉलरशिप घोटाले के आरोपी हैं, को मार्च 2024 में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) का चेयरमैन बनाया गया।
आरोप: अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों के लिए स्कॉलरशिप में ₹4.25 करोड़ की गड़बड़ी।
स्थिति: मामला कोर्ट में लंबित है। उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
अन्य आरोपी: केपी रमैया और एसएम राजू। केपी रमैया जमानत पर हैं, जबकि एसएम राजू बिहार छोड़ चुके हैं।
- जमीन अधिग्रहण घोटाले के आरोपी बने वन विभाग के अपर सचिव
IAS कंवल तनुज, जिन पर नवीनगर बिजली परियोजना में ₹2 करोड़ की हेराफेरी का आरोप है, को वन एवं पर्यावरण विभाग में तैनात किया गया है।
आरोप: फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ी।
स्थिति: मामला CBI के अधीन है, और जांच जारी है।
- बालू माफिया से सांठगांठ का आरोपी IPS राकेश दुबे
IPS राकेश दुबे पर बालू माफियाओं से मिलीभगत और अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।
आरोप: पटना, नोएडा और झारखंड में अवैध संपत्ति।
स्थिति: ईडी और ईओयू की जांच जारी। उन्हें सितंबर 2024 में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस का सहायक IG बनाया गया।
- जेल में बंद IAS संजीव हंस
IAS संजीव हंस, जिन पर गैंगरेप और भ्रष्टाचार के आरोप हैं, बेऊर जेल में बंद हैं।
आरोप: अवैध तरीके से संपत्ति जुटाने और एक महिला के साथ अपराध।
स्थिति: ईडी और अन्य एजेंसियां उनके खिलाफ जांच कर रही हैं।
- वेब सीरीज और अवैध संपत्ति का आरोपी IPS अमित लोढ़ा
IPS अमित लोढ़ा, जिनकी किताब पर आधारित वेब सीरीज “बिहार डायरी” विवादों में है, पर आय से अधिक संपत्ति और पद के दुरुपयोग का आरोप है।
आरोप: अवैध संपत्ति, प्रोडक्शन हाउस से अनुचित लाभ।
स्थिति: SVU और ईडी की जांच जारी।
- जमानत पर बाहर IPS आदित्य कुमार
IPS आदित्य कुमार पर फर्जी पहचान बनाकर उच्च अधिकारियों को प्रभावित करने और शराब माफियाओं से सांठगांठ के आरोप हैं।
आरोप: तत्कालीन DGP को न्यायिक हस्तक्षेप के लिए फर्जी व्हाट्सएप कॉल करना।
स्थिति: दिसंबर 2023 में सरेंडर किया, अभी जमानत पर बाहर हैं।
विश्लेषण
बिहार में इन अधिकारियों के खिलाफ CBI, ED, EOU और SVU जैसी केंद्रीय और राज्य एजेंसियां जांच कर रही हैं।
सरकार द्वारा गंभीर आरोपों के बावजूद अहम पदों पर तैनाती की घटनाओं ने प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं।
इन घटनाओं से आम जनता के बीच प्रशासन के प्रति विश्वास कमजोर हो रहा है।
आगे क्या?
जांच एजेंसियां अपनी कार्रवाई जारी रखेंगी।
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से कई मामलों पर निर्णय आने की संभावना है।
आम जनता और राजनीतिक दल इन नियुक्तियों के खिलाफ विरोध दर्ज करा सकते हैं।
यह घटनाक्रम बिहार की नौकरशाही में गहराते संकट और प्रशासनिक नैतिकता के गिरते स्तर को दर्शाता है।