[Team Insider] भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा है। सोमवार को बीजेपी स्टेट हेड क्वार्टर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हेमंत सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार जनता की नहीं बल्कि एक परिवार की होकर रह गई है। इस सरकार को सिंडिकेट चला रही है और कमीशनखोरी चरम पर है। इन आरोपों को लेकर सत्ता में शामिल कांग्रेस पार्टी ने भी पलटवार करते हुए रघुवर दास को सलाह दी है कि अपने पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए हल्की बयान बाजी ना करें। पहले ही जनता ने उन्हें सत्ता से सड़क पर ला दिया है।
सरकार के 2 साल को बताया विफल
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही गठबंधन सरकार के 2 साल के कार्यकाल की विफलताओं को सामने रखा।साथ ही पूर्व की भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाई। उन्होंने कहा इस सरकार में हर टेंडर में कमीशन खोरी हो रही है। नीचे से लेकर ऊपर तक टेंडर में सीएमओ का हस्तक्षेप होता है। इसके वजह से राज्य में विकास ना के बराबर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में झारखंड में जमकर जंगलों की कटाई और पत्थरों की धुलाई हुई है।स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से चौपट हो गई है और शिक्षा विभाग की स्थिति भी पूरी तरह से बदहाल है।
अपने पिता की भी नहीं सुनते मुख्यमंत्री
उन्होंने कहा कि वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता की बात नहीं सुनते,तो वह जनता की क्या सुनेंगे।उन्होंने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार के दौरान मोमेंटम झारखंड का आयोजन किया गया था। जिसमें निवेशकों ने रुचि भी दिखाई। यही वजह है कि गोड्डा में अडानी का टेक्सटाइल प्लांट लगभग तैयार हो गया है। जिससे हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने हेमंत सरकार द्वारा टेक्सटाइल में नियुक्ति पत्र देने के मामले पर कहा कि पूर्व की सरकार ने जिन्हें नियुक्त किया था। उन्हें ही दुबारा नियुक्ति पत्र देकर हेमंत सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।
मोमेंटम झारखंड का उड़ाया जाता रहा है मजाक
वहीं उन्होंने कहा कि मोमेंटम झारखंड का हेमंत सरकार हमेशा मजाक उड़ाते रही है। लेकिन इसी सरकार ने झारखंड के लोगो में हाथी के चित्र को स्थान दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 2 वर्षों में हेमंत सरकार ने कोई योजना को धरातल पर नहीं उतारा है। सिर्फ अपने विकास पर ध्यान दिया है।
लॉ एंड आर्डर पर उठाए सवाल
उन्होंने हेमंत सरकार के गठन से लेकर अब तक के लॉ एंड ऑर्डर के मामलों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार बनने के तुरंत बाद नरसंहार की घटना हुई थी। जिसमें 7 आदिवासियों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। झारखंड राज्य अलग होने के बाद इस तरह का नरसंहार की घटना पहली थी। वही मॉब लिंचिंग के भी दर्जनों मामले सामने आए हैं। ताजा उदाहरण सिमडेगा का देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि मोब लिंचिंग के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने सिमडेगा में संजू प्रधान की मॉब लिंचिंग को पूरी तरह से प्रायोजित बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। साथ ही मृतक के परिजन को 10 लाख का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की मांग की है।
कांग्रेस का पलटवार
रघुवर दास के हेमंत सरकार पर लागये गए आरोपों का सत्ता में शामिल कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भी करारा जवाब दिया है ।उन्होंने कहा कि रघुवर दास को 2019 में जनता की मार पड़ी थी।जिसे वह नहीं भूले है। अब उन्हें लगने लगा है कि मीडिया में बने रहने से दुबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे।उन्होंने कहा कि बार-बार बाबूलाल और दीपक प्रकाश प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के नेता हम है। इसलिए अब रघुवर दास भी इस रेस में कूद गये है।
शांतिपूर्ण माहौल को चाहते हैं बिगड़ना
उन्होंने कहा कि रघुवर दास ने बाहरी भीतरी की बात को भी रखते हुए सफाई दी है। वह शांतिपूर्ण माहौल को विषाक्त करने में लगे हुए हैं। वहीं बाबूलाल मरांडी को कंपटीशन देने के लिए अर्जुन मुंडा भी उतर गये है।ऐसे में पहले ये चारों तय कर लें कि कौन अध्यक्ष रहेगा और कौन प्रवक्ता रहेगा। उसके बाद हम उनकी बातों का जवाब दें,तो अच्छा होगा।
हल्की बातें कर रहे हैं रघुवर दास
उन्होंने कहा कि रघुवर दास राज्य के लोगों द्वारा चुने गए पार्टी के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह हल्की बातें कर रहे हैं। जिसका सिर ना पैर है।उन्होंने कहा कि धनबाद में बीजेपी द्वारा जो प्रयास किया गया और इनके बयानों से जो प्रयास हो रहा है। वह राज्य के लिए ठीक नहीं है।
बयान में गंभीरता लाएं
उन्होंने कहा कि रघुवर दास का बेटा राज्य के लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहा था। इस लिए लोगों ने उन्हें नकार दिया था। लोगों ने कहा भी था कि ऐसा धूर्त कभी बेटा नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ऐसे बयानों से ही सत्ता से सड़क पर आ गए हैं। ऐसे में उन्हें बयानों में गंभीरता लाने की जरूरत है।