दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया अभी जेल में ही रहेंगे। राहत पाने को लगातार प्रयासरत मनीष सिसोदिया के लिए यह निर्णय दिल्ली हाई कोर्ट ने लिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका रद्द कर दी। कोर्ट ने साफ कहा कि मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती। अब सिसोदिया के वकील सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं। लेकिन इस जमानत याचिका रद्द होने के कारण ने चौंका दिया है। दरअसल, कोर्ट ने जमानत रद्द करने का जो कारण सामने आया है, उसमें लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल का सिसोदिया पर अतिभरोसा करना भारी पड़ा है।
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“गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं सिसोदिया”
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। साफ कहा कि अभी उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती। क्योंकि सिसोदिया गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं। उनका इस मामले में व्यवहार भी सही नहीं रहा है। वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
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आधी सरकार के मालिक थे सिसोदिया
कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करने के साथ यह भी कहा है कि उनके पास 18 विभाग रहे हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसलिए उनको अभी जमानत नहीं दी जा सकती है। दरअसल, अरविंद केजरीवाल का यही अतिभरोसा Manish Sisodia पर अब भारी पड़ रहा है। सिसोदिया दिल्ली सरकार के कुल 33 विभागों में से 18 के मंत्री थे। यानि आधे से अधिक विभाग सिसोदिया के पास ही थे। जबकि दिल्ली सरकार में सीएम समेत कुल 7 मंत्री हो सकते थे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा था।
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ऐसे में अगर सभी छह मंत्रियों में विभागों का बंटवारा बराबर होता तो सिसोदिया के पास छह से अधिक विभाग नहीं आते। लेकिन केजरीवाल ने सिसोदिया पर इतना भरोसा जताया कि विभागों के संचालन के मामले में उन्हें आधी सरकार ही सौंप दी थी।