RANCHI : राज्य में अब प्राइवेट हॉस्पिटल-क्लिनिक और नर्सिंग होम वाले मनमानी नहीं कर सकेंगे। किसी भी मरीज से अलग-अलग सर्विस के लिए मनमाना चार्ज नहीं ले सकेंगे। चूंकि स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर पिछले हफ्ते ही आदेश जारी कर दिया है। जिसके तहत उन्हें हॉस्पिटल में एक डिसप्ले लगाना होगा। डिसप्ले में हॉस्पिटल में दी जाने वाली सेवाओं और उसका चार्ज भी लिखना होगा। ऐसा नहीं करने वाले हॉस्पिटलों पर अब विभाग कार्रवाई करेगा। इतना ही नहीं गड़बड़ी पाए जाने पर हॉस्पिटल का लाइसेंस भी कैंसिल किया जा सकता है। वहीं एक्ट के तहत उनपर कार्रवाई भी की जाएगी।
क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट में भी है प्रावधान
राज्य में किसी भी प्राइवेट या सरकारी हॉस्पिटल के संचालन के लिए क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान है। जिसमें हर एक साल के बाद लाइसेंस को रिन्युअल कराना भी है। इसके अलावा हॉस्पिटल में दी जाने वाली सुविधाओं और उसका रेट भी लगाने का निर्देश है। साथ ही यह भी कहा गया है कि रेट चार्ट ऐसी जगह पर लगाए जिससे कि रजिस्ट्रेशन नंबर और रेट की जानकारी स्पष्ट रूप से दिखाई दे। इसके बावजूद ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल इस आदेश को मानने को तैयार नहीं है। और न ही उन्होंने हॉस्पिटलों में कोई रेट चार्ट लगाया है जिससे कि लोगों को हॉस्पिटल में दी जाने वाली सेवाओं की जानकारी मिल सके।
आरटीआई से मांगी थी जानकारी
सोशल एक्टिविस्ट ज्योति शर्मा ने 2019 में स्वास्थ्य विभाग से क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हॉस्पिटलों की जानकारी मांगी थी। इसके बाद उन्होंने कई बार रिमाइंडर भी भेजा। लेकिन आजतक उन्हें कुछ जिलों को छोड़ बाकी जिलों के हॉस्पिटलों के रजिस्ट्रेशन की जानकारी भी नहीं उपलब्ध कराई गई है। जबकि प्राइवेट व सरकारी हॉस्पिटलों के रजिस्ट्रेशन की मॉनिटरिंग का जिम्मा सिविल सर्जन का है। इसे लेकर कई बार हॉस्पिटलों के खिलाफ कंप्लेन भी की गई है। लेकिन हॉस्पिटलों पर कार्रवाई के नाम पर केवल आईवॉश किया जा रहा है। जिससे साफ है कि कहीं न कहीं सिविल सर्जन भी इन हॉस्पिटलों पर कार्रवाई करने से कतरा रहे है।