RANCHI : रांची में सेना जमीन घोटाले में कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल के खिलाफ ईडी को कई साक्ष्य मिले है। अमित ने अपने रिश्तेदार दिलीप घोष के नाम पर जगतबंधु टी इस्टेट कंपनी खोली थी। मनी लाउंड्रिंग व अवैध तरीके से अर्जित 4 करोड़ 69 लाख 80 हजार रुपये नकद अमित ने जगतबंधु टी इस्टेट के आईडीएफसी के खाते में डलवाए। पैसे डिपोजिट होने के तुरंत बाद इसे राजेश ऑटो मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड के खाते में डाला गया। ईडी ने जांच में पाया कि अमित के स्वामित्व वाली राजेश ऑटो मर्चेंडाइज में 1.13 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए।
अमित के कर्मचारी ही डालते थे पैसा
ईडी ने जगतबंधु के खातों को खंगालना शुरू किया तो पाया कि विकास जाना, दिलीप शाह ने पूरी राशि जमा करायी थी। ईडी ने पीएमएलए की धाराओं के तहत पूछताछ की, तब पता चला कि दोनों अमित के ही कर्मचारी हैं। ईडी ने पाया कि जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक भले ही दिलीप घोष हों, लेकिन कंपनी के लाभ के असल मालिक अमित हैं। जगतबंधु के खातों से अमित की कंपनी औरा स्टूडियोज, राजेश आटो में पैसा ट्रांसफर होने को ईडी ने माना है कि तीनों को अमित लीड करते थे। सेना की जमीन की खरीद के लिए भी अमित ने जगतबंधु के नाम का इस्तेमाल किया था। इस साजिश में प्रेम प्रकाश सहयोगी की भूमिका में था।
फर्जीवाड़ा करने में खर्च हुए 25 लाख
बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन हासिल करने के लिए फर्जीवाड़े में सिर्फ 25 लाख रुपये खर्च हुए, जबकि शेष जमीन मुफ्त में हासिल करने की साजिश रची थी। जगतबंधु टी एस्टेट के नाम पर सेना की जिस जमीन की रजिस्ट्री हुई, सरकारी दर के हिसाब से उसकी कीमत 20.85 करोड़ रुपये है। लेकिन बाजार के हिसाब पूरी जमीन की कीमत 100 करोड़ से अधिक है। चौकानें वाली बात यह है कि प्रदीप बागची से रजिस्ट्री डीड में इस जमीन की बिक्री सात करोड़ में होने का जिक्र है, लेकिन रजिस्ट्री डीड में 10 चेक से सात करोड़ भुगतान की जांच ईडी ने की तो पता चला कि चेक के जरिए कोई भुगतान हुआ ही नहीं है। डीड में भुगतान की फर्जी जानकारी डालकर जमीन की रजिस्ट्री करा ली गई। ईडी ने जांच में पाया है कि जिस 25,00000 का भुगतान हुआ है वह राशि प्रदीप बागची को फर्जीवाड़ा के लिए कमीशन के तौर पर दिया गया था। उसी के नाम पर ही जमीन के फर्जी कागजात बने थे।