पटना में 23 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में सबसे महत्वपूर्ण चर्चा नीतीश कुमार के फॉर्मूले पर होने वाली है। 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार ने फॉर्मूला दिया है ‘वन अगेंस्ट वन’। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के मुताबिक यह एक नायाब और रिजल्ट ओरिएंटेड फार्मूला है। कहा जा रहा है कि इस फॉर्मूले पर देश की दूसरी विपक्षी पार्टीयों को भी भरोसा है। ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल सरीखे तमाम दिग्गज इस रणनीति पर काम करने के लिए तैयार हैं। ऐसे में अगर 23 जून को ‘वन अगेंस्ट वन’ फॉर्मूले पर सहमति बन गई तो बीजेपी की परेशानी बढ़ जाएगी।
BJP के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार
दरअसल, नीतीश कुमार के मुताबिक बीजेपी को हराने के लिए ‘वन अगेंस्ट वन’ का एक ही फार्मूला ही कारगर है। यानी अगर बीजेपी का एक उम्मीदवार है तो उसके खिलाफ विपक्षी गठबंधन का एक ही उम्मीदवार उतारा जाएगा। इस फार्मूले के तहत वोटों का बिखराव रोकने के लिए भाजपा के खिलाफ विपक्ष के दल अलग-अलग लड़ेंगे तो बात नहीं बनेगी। इसलिए सभी दल मिलकर भाजपा के खिलाफ एक ही प्रत्याशी देंगे। यह रणनीति कितनी सफल हो सकेगी, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन कहा जा रहा है कि नीतीश ने देश की लगभग 350 लोकसभा सीटों पर इस फॉर्मूले से चुनाव लड़ने का सुझाव दिया है। जिसे चुनाव आते-आते 400 सीटों तक करने की कोशिश है।
कांग्रेस के लिए असमंजस की स्थिति
सीएम नीतीश का ये फॉर्मूला कांग्रेस के लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर सकता है। क्योंकि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है। उसकी पकर पूरे देश में है। इसलिए उसकी चाहत है कि वह पूरे देश में सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े। कांग्रेस पार्टी चाहती है कि वह कम से कम 350 सीटों पर चुनाव लड़े। ऐसे में सवाल उठता है कि जहां क्षेत्रीय दल मजबूत है वहां कांग्रेस की एंट्री कैसे होगी। जैसे उत्तर प्रदेश, बंगाल, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, दिल्ली। इन राज्यों में क्षेत्रीय दल अपने हिस्से की सीटों में कांग्रेस को कितना मौका देंगे, यह देखने वाली बात होगी।
1977 में कामयाब हो चुका है यह फॉर्मूला
जिस फॉर्मूले से 2024 में BJP को सत्ता में आने से रोकने की तैयारी है वह 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ काम आया था। जनवरी 1977, देश में इमरजेंसी लगे 19 महीने हो गए थे। 18 जनवरी को अचानक से इंदिरा गांधी ने मार्च 1977 में लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। इसके 5 दिन बाद ही 23 जनवरी 1977 को 10 विपक्षी दलों ने मिलकर एक पार्टी बनाई। पार्टी का नाम रखा जनता पार्टी। विचारधारा में अलग होने के बावजूद पार्टियां जयप्रकाश नारायण के कहने पर एकजुट हुई। इन दलों का एक मकसद था- किसी तरह इंदिरा गांधी को रोकना। इसके लिए सभी विपक्षी दल एक हो गए और इन्होंने हर सीट पर इंदिरा गांधी के उम्मीदवार के खिलाफ अपना एक उम्मीदवार उतारने का फैसला किया। इसका परिणाम ये हुआ कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को 200 से भी कम सीटों पर जीत मिली।