JAMSHEDPUR : विश्व में योग को मान्यता दिलाने के लिए आनंदमार्गियों ने प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया। योग के लिए पिछले काफी समय से योग को समाज में स्थापित करने के लिए संघर्ष चल रहा था। योग का मतलब साधु महात्माओं की क्रिया ही मानी जाती थी। जिसके कारण समाज में योग का प्रचार करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क मुख्यालय में 9वें ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर आयोजित योग सत्र में बड़ी संख्या में लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।
इस प्राचीन पद्धति की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया। इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन ने यूएन सचिवालय के सहयोग से ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस’ का आयोजन किया था जिसकी थीम है: वसुधैव कुटुम्बकम (सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है) के लिए योग। न्यूयॉर्क में इस आयोजन में आनंद मार्ग प्रचारक संघ के महासचिव आचार्य अभीरामानंद अवधूत, आचार्य शंकरानंद अवधूत एवं आनंद मार्ग की विदेशों में योग साधना की आध्यात्मिक शिक्षा देने वाले आनंद मार्गीयो ने भाग लिया। महासचिव आचार्य अभीरामानंद अवधूत ने कहा कि अष्टांग योग के माध्यम से ही पूरे विश्व में शांति संभव है।
दुनिया को एक सूत्र में बांध सकता है योग
योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे पूरे दुनिया को एक सूत्र में बांधा जा सकता है जब समाज के प्रत्येक व्यक्ति का लक्ष्य एक हो जाए तब वहां सभी तरह का भेदभाव खत्म हो जाता है। जब समाज एक ही सकारात्मक सोच चिंता धारा में बहने का प्रयास करेगा तभी विश्व शांति संभव हो पाएगा। योग के माध्यम से मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। मानव को मानवता का अहसास योग के माध्यम से ही कराया जा सकता है। योग के बल पर ही भारत दुनिया का विश्व गुरु बन सकता है। साथ ही कहा कि डिप्रेशन वाले लोगों के लिए योग ही चिकित्सा है।