केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने की कवायद में 15 विपक्ष के दलों की बैठक शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में हो रही है। इस बैठक में एजेंडा यह है कि आखिर विपक्ष के दलों की अटूट एकता का आधार क्या बने और भाजपा के खिलाफ लोकसभा चुनाव में रणनीति क्या हो। इन मुद्दों पर चर्चा के बीच अगर सभी 15 दल भाजपा के खिलाफ वन अगेंस्ट वन का फैसला करते हैं, तो यह कांग्रेस के लिए संगठन के तौर पर बड़ी चुनौती हो जाएगी। क्योंकि वन अगेंस्ट वन का फार्मूला कांग्रेस को कई राज्यों में अपने उम्मीदवार उतारने से रोक देगा, जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस ने उतारे थे।
RJD सुप्रीमो भी बैठक में मौजूद, नीतीश के बगल में बैठे हैं लालू
छह राज्यों में बड़ा असर
विपक्ष के दलों की बैठक में कांग्रेस के सामने छह राज्यों को लगभग कुर्बान करने की चुनौती होगी। क्योंकि इन छह राज्यों में भाजपा का मुकाबला दूसरे दल कर रहे हैं और जीत भी रहे हैं। ऐसे में 2024 के चुनाव में इन दलों के साथ गठबंधन करती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस को इन राज्यों में अपने उम्मीदवार कम करने होंगे। क्योंकि अधिक उम्मीदवार उन दलों के होंगे, जो अभी सत्ता के फ्रंट सीट पर हैं।
इन राज्यों में सबसे पहला है बिहार। यहां लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी। लेकिन अब जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद राज्य में महागठबंधन बडे़ दल राजद और जदयू ही अधिक सीटों पर लड़ेंगे। कांग्रेस को चुनिंदा सीटें ही मिलेंगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल की 42, तमिलनाडु की 39, झारखंड की 14 सीटों पर भी बिहार वाली ही स्थिति रहेगी। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस से समझौता करना होगा। जबकि तमिलनाडु में डीएमके और झारखंड में जेएमएम को तरजीह देनी होगी। इसके अलावा पंजाब की 13 और दिल्ली की 7 सीटों पर कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से समझौता करना होगा।