केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ बना 15 दलों का महागठबंधन शुरुआती सफलता के बाद अब झटके खाने लगा है। 23 जून को पटना में इकट्ठे हुए 15 दलों के नेताओं ने जिस जोश के साथ बैठक की, उस जोश की हवा पहले दिन ही निकलने लगी थी। बैठक के तुरंत बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं पर सबकी खास नजर जम गई क्योंकि साझा प्रेस कांफ्रेंस में वे नजर नहीं आए। वैसे तो पहली बैठक में दूसरी बैठक की तारीख भी तय हुई थी। लेकिन दूसरी बैठक होने से पहले विपक्षी दलों की एकता को दूसरा झटका लगता दिख रहा है।
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पहली दरार मोदी विरोध में
विपक्षी दलों को पहला झटका लगा अरविंद केजरीवाल की जिद के कारण। केजरीवाल चाहते थे कि बाकि बातें बाद में हो पहले सब उस अध्यादेश के खिलाफ हो जाएं, जिसे केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के खिलाफ पारित किया है। लेकिन कांग्रेस ने कह दिया कि ‘बंदूक की नोक’ पर शर्त न थोपी जाए। केजरीवाल बिफर गए और निकल गए। इस तरह मोदी विरोध की शर्त न मानने पर विपक्षी दलों की एकता में पहली दरार आ गई।
दूसरी दरार मोदी के समर्थन में
अरविंद केजरीवाल के नाराज होने के बाद भी विपक्षी दलों को उम्मीद थी कि दूसरी मीटिंग से पहले वे मान जाएंगे। लेकिन मोदी विरोध में समर्थन के लिए हुई नाराजगी अब ऐसे मोड़ पर आ गई है कि मोदी के समर्थन के लिए विपक्षी एकता में दूसरी दरार आ गई है। इस दरार के कर्ता-धर्ता अरविंद केजरीवाल के साथ उद्धव ठाकरे भी हैं।
UCC के समर्थन में उद्धव-केजरीवाल
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल में यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात शुरू की। इसके बाद से इसके पक्ष और विपक्ष की राजनीति शुरू हो गई है। अब स्थिति ये बन गई है कि आम आदमी पार्टी ने UCC का समर्थन किया है। AAP के संदीप पाठक का कहना है कि सैद्धांतिक रूप से हम यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हैं। संविधान का आर्टिकल 44 भी इसका समर्थन करता है। लेकिन ये मुद्दा सभी धर्म संप्रदायों से जुड़ा मुद्दा है। इस पर स्टेक होल्डर्स से आम सहमति बनानी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर उद्धव गुट की शिवसेना भी यूनिफॉर्म सिविल कोड पर मोदी सरकार का समर्थन कर सकती है। वैसे तो औपचारिक तौर पर उद्धव गुट की ओर से कोई बयान तो जारी नहीं हुआ है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का समर्थन कर सकती है। अगर बिल संसद में लाया जाता है तो इसे उद्धव ठाकरे की पार्टी समर्थन देगी।