RANCHI : स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बुधवार को TB work place policy and Corporate Engagement to end TB का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन हेतु कार्ययोजना तैयार कर ससमय कार्य करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करना है। पूरे विश्व में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक है वही राष्ट्रीय लक्ष्य वर्ष 2025 तक है। हमलोगों ने झारखण्ड में टीबी उन्मूलन का लक्ष्य दिसम्बर 2024 तक रखा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि गांव को समृद्ध किए बिना टीबी से नहीं लड़ा जा सकता। उन्होंने कहा कि अभी राज्य में 57567 टीबी के मरीज की पहचान की गई है। प्रति एक लाख लोगों में 1022 लोगों को जांच के दायरे में लाया जा रहा है। जांच का दायरा और बढ़ाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि झारखण्ड में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक है। झारखंड की एडवांस प्लानिंग अन्य राज्यों से अच्छी है।
टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम की शुरूआत
सभी जिलों में टीबी के प्रति लोगों को जागरूक तथा पंचायत को टीबी मुक्त करने हेतु कार्य किये जा रहे है। जब तक एक-एक गांव एवं पंचायत टीबी मुक्त नहीं होगा, टीबी मुक्त जिला एवं राज्य की परिकल्पना बेईमानी होगी। राज्य सरकार टीबी मुक्त पंचायत कार्यक्रम की शुरूआत आज के दिन से कर रही है। प्रथम दस टीबी मुक्त पंचायत के प्रतिनिधियों को राज्य सरकार द्वारा राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही सभी टीबी मुक्त पंचायतों को स्वर्ण, रजत और कास्य पदक दिया जाएगा।
विभागों से समन्वय जरूरी
सरकार अपने स्तर पर टीबी उन्मूलन हेतु हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन अन्य विभागों के समन्वय के बिना यह कार्य संभव प्रतीत नहीं होता है। इस दिशा में अन्य विभागों जैसे श्रम, उद्योग, खनन, सामाजिक सुरक्षा, डाक विभाग, आदिवासी कल्याण विभाग इत्यादि से समन्वय बना कर कार्य करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य में बहुत सारे छोटे-बड़े उद्योग है, बहुत सारे लोक उपक्रम है एवं खदानों की भरमार है। हमारी पहुंच राज्य के सुदूरवर्ती इलाको में सहिया की मदद से हो रही है। लेकिन इन कल-कारखानों, खदानों इत्यादि में कार्यरत कर्मचारियों तक हमारी पहुंच नहीं हो पाती। लोग काम के समय में अपने कार्यस्थल पर चले जाते हैं। ऐसे में हमारे स्वास्थ्य कर्मियों से उनकी मुलाकात नहीं हो पाती। लोग भ्रांतियों के कारण बीमारी को छुपाना चाहते है एवं अन्य लोगों में टीबी फैल जाती है। राज्य सरकार ने देश में सर्वप्रथम यह Work Place Policy for TB its Comorbidities and Occupational Lung Disease ले कर आई है जिससे की राज्य सरकार के पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए लोग अपने अपने कार्यक्षेत्र को टीबी मुक्त करने का मुहिम उठा सकें। यह Unique Employee Lead Model है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि इस पॉलिसी के लागू होने के बाद लोग अपने-अपने कार्यक्षेत्र को टीबी मुक्त कर सकेंगे। साथ ही टीबी हारेगा, झारखण्ड जितेगा का मंत्र सफल हो पायेगा।
अलग विंग बनाने पर जोर
श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि सभी जिलों तथा अन्य अस्पतालों में टीबी के लिए अलग विंग बनाया जाना चाहिए। इससे लोगों को जांच कराने में संकोच नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पंचायत में शिविर लगाकर टीबी की जांच की जानी चाहिए। हार्ड टू रिच एरिया में भी जांच जरूरी है। एक व्यक्ति को यदि टीबी हो और वह इलाजरत नहीं हो तो साल में लगभग 10 से 15 नए लोगों को संक्रमित कर सकता है। हमारे उद्योग, कल कारखानों में कार्य करने वाले अधिकारी-कर्मचारी इत्यादि एक दूसरे से बहुत नजदीक होकर कार्य करते हैं जिससे उनमें एक दूसरे से संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। कार्य क्षेत्र को टीबी मुक्त करने हेतु सरकार का यह एक सराहनीय कदम है।
प्रोग्राम को शुरू करने वाला पहला राज्य
अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह ने कहा कि इस प्रोग्राम का उद्घाटन करने वाला देश का पहला राज्य झारखण्ड बन गया है। सभी लोग समन्वय स्थापित कर टीबी उन्मूलन का कार्य करें। टीबी होने का मुख्य कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना तथा अच्छा भोजन नही मिलना है। बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलता है और फेफड़े को प्रभावित करता है। टीबी बीमारी से संबंधित भ्रांतियों एवं अंधविश्वास को दूर करते हुए जनभागीदारी के साथ इससे मुकाबला करने हेतु हमें सार्थक प्रयास करने की आवश्यकता है। डॉ राजेन्द्र पी जोशी, डीडीजी, टीबी डिवीजन ने कहा कि झारखंड ने इनिशिएटिव ले रहा है। एक सर्वेक्षण में पता चला है कि अधिकांश लोगों में टीबी के सिम्पटम्स हैं पर वो डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहते। 64 प्रतिशत लोग टीबी के बारे में नहीं सोचते। उन्होंने कहा कि टीबी कोविड की तरह एयर बॉर्न डिजीज है। टीबी मुक्त ग्राम पंचायत की शुरुआत 2023 में की गई। हमें इससे जुड़े स्टिगमा को दूर करना होगा।
ये रहे मौजूद
उद्योग सचिव श्री जितेन्द्र कुमार सिंह, श्रम सचिव श्री राजेश शर्मा, अभियान निदेशक श्री आलोक त्रिवेदी, अपर अभियान निदेशक, निदेशक प्रमुख डॉ वीरेन्द्र प्रसाद सिंह, श्री विद्यानन्द शर्मा पंकज, राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजित प्रसाद तथा अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
इन्हें किया सम्मानित
सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थान को टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य में विभिन्न जिलों के टीबी मरीजों को नि-क्षय मित्र बनकर गोद लेने एवं उन्हें अतिरिक्त पोषण सहायता उपलब्ध करने के लिए सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, बोकारो (बीजीएच), यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ लिमिटेड, रेल विकास निगम लिमिटेड, अदानी पावर (झारखंड) लिमिटेड, आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्सेज लिमिटेड, उषा मार्टिन लिमिटेड, जिंदल स्टील और पावर लिमिटेड, टाटा स्टील फाउंडेशन, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया सम्मानित किया गया।