JAMSHEDPUR : कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम जिले के बड़ाम प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत दलमा गज परियोजना वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के कोंकादासा गांव जंगल के बिहड़ों में बसा है। यह एक आदिवासी बहुल गांव है। यहां भूमीज मुंडा और एक सावताल 26/28 परिवार निवास करते है। झारखंड राज्य बने 22 साल से ऊपर होने को है और महज 8 महीना के बाद फिर चुनाव आने वाला है। फिर भी इस गांव में मूलभूत सुविधा से वंचित रहे है आदिवासी परिवार के लोग। मनोज सिंह सरदार ने कहा कि चुनाव आते ही नेता, मंत्री के दलाल वोट मांगने और बड़े-बड़े वायदे करने पहुंच जाते है। चुनाव का परिणाम आने के बाद पांच साल तक झांकते भी नहीं।
कोई नहीं आया गांव में
आजतक हमारे सुधि लेने नहीं पहुंचते है। न सांसद, न विधायक, न मंत्री इस गांव में पहुंचते हैं। जिला स्तर से प्रखण्ड स्तर के पदाधिकारी हमारे बीच आजतक नहीं पहुंचे। दुर्भाग्य तो यह है कि चुनाव के दौरान ग्रामीण जंगल की बीहड़ों में रहने के बावजूद 20 किलोमीटर दूरी तय करके मतदान केंद्र पहुंचते है। फिर भी हमें विकास की किरण का इंतजार है। कितने विधायक, सांसद बने और चले गए। गांव में सड़क, बिजली, स्वास्थ्य केंद्र, शुद्ध पेय जल की समस्या है। कई परिवार के लोग गांव छोड़कर भाग चुके है। परिवार की मां-बेटी टूटे मकान में रहने पर मजबूर है। परिवार के लोगों को आजतक केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कोई योजना नहीं पहुंची।अधिकांश घर मिट्टी की दीवार पर खड़ी है। घर की छत पर प्लास्टिक लगाया गया है। कई घरों में दरवाजा नहीं है।
खूंखार जानवरों के बीच रहना मजबूरी
आज यह कोंकादासा गांव के लोग “वाइल्ड लाइफ सेंचुरी” की गज परियोजना में हाथी, रॉयल बंगाल टाईगर, चीता,भालू आदि खूंखार जानवरों के बीच जीवन यापन करने पर मजबूर है। आंगनबाड़ी, प्राथमिक स्कूल तो है लेकिन उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र नहीं रहने के कारण लोगों को इलाज नहीं मिल पाता। सांप-बिच्छू काट ले तो लोगों की मौत हो जाती है। 30 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र है जहां पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देता है। इस गांव की स्थिति को देख कोई बेटी-बहन की शादी कराने से पहले कई बार सोचता है।