2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा के साथ गठबंधन में जुड़े चिराग पासवान को 2019 तक पूरा सम्मान मिला। लेकिन 2020 से सबकुछ बदलने लगा। 2020 में चिराग पासवान को नीतीश कुमार के कारण एनडीए से भाजपा ने बाहर कर दिया। तब से लेकर अब तक कई मौकों पर चिराग के साथ ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिसमें उन्हें भाजपा से मदद की दरकार थी। लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली। इसके उलट इन्हीं तीन सालों में कम से कम ऐसे तीन मौके आए हैं, जब भाजपा ने चिराग की मदद लेकर अपना भला किया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि चिराग पासवान का सबकुछ जब बरबाद हो रहा था, तो उस वक्त मदद करने की बजाय तमाशा देखने वाली भाजपा के साथ आज एनडीएम में चिराग क्यों शामिल हुए हैं।
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रामविलास पासवान के बाद अकेले पड़े चिराग
दरअसल, जब चिराग पासवान के पिता रामविलास पासवान की मौत हुई थी, तो वे थोड़ा कमजोर हुए थे। सामने 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव था, जिसमें उन्होंने जदयू के खिलाफ मुहिम चला दी। चुनाव में खास फायदा नहीं हुआ। जदयू को तो चिराग ने तीन दर्जन सीटों पर झटका दे दिया, लेकिन अपनी पार्टी के लिए 1 ही उम्मीदवार जिता सके। चुनाव का नतीजा आने के कुछ दिन बाद ही वो इकलौते विधायक भी जदयू से मिल गए। जदयू के साथ तब भाजपा थी लेकिन भाजपा ने इसका कोई विरोध नहीं किया।
चिराग खुद को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते नहीं थकते थे लेकिन चिराग के राम यानि नरेंद्र मोदी ने उनकी कोई मदद नहीं की। बाद में जब चिराग पासवान को उनके चाचा और सांसदों ने अकेले छोड़ नई पार्टी बना ली, पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने तब भी चिराग की मदद नहीं की। रामविलास पासवान की जगह चिराग से अलग हुए उनके चाचा पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। लेकिन चिराग भाजपा के खिलाफ कुछ नहीं बोले। चिराग पासवान के पिता को जो बंगला दिल्ली में आवंटित हुआ था, उसे भी केंद्र सरकार ने खाली करवा लिया। चिराग ने तब भी भाजपा का विरोध नहीं किया।
यही नहीं 2020 के बाद हुए तीन विधानसभा के उपचुनावों में चिराग ने एनडीए का हिस्सा न होते हुए भी भाजपा के उम्मीदवारों को ही समर्थन दिया। नागालैंड में चिराग की पार्टी ने 19 उम्मीदवार उतारे लेकिन भाजपा के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं दिया। तो आखिर चिराग उस भाजपा पर इतना मेहरबान क्यों हैं, जिसने बीते तीन सालों में उन्हें कुछ भी नहीं दिया। चिराग आज एनडीए का सदस्य बन चुके हैं, लेकिन सवाल यही उठ रहे हें कि बंगला गया, परिवार टूटा, फिर भी नरेंद्र मोदी का विरोध चिराग पासवान ने क्यों नहीं किया?
चिराग ने दिया हर सवाल का जवाब
अब चिराग पासवान एनडीए में शामिल हो चुके हैं। 2024 में मोदी को जिताने का दावा करते चिराग पासवान किसी पुरानी बात को नहीं भूले हैं। लेकिन एनडीए के आधिकारिक सहयोगी के तौर पर पहली बैठक में शामिल होने से पहले चिराग पासवान ने कई सवालों का जवाब दिया है। चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें भाजपा से नहीं नीतीश कुमार से दिक्कत थी। 2017 में जब नीतीश एनडीए में लौटे, तभी लोजपा को एनडीए से बाहर हो जाना था। लेकिन तब पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने रामविलास से कहा था कि यह भाजपा का गठबंधन है, जदयू का नहीं।
नीतीश पर लगाए आरोप
वैसे तो नीतीश कुमार 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बारे में कई बार कह चुके हैं कि भाजपा ने परोक्ष रूप से जदयू को डैमेज करने के लिए चिराग पासवान को छोड़ा था। लेकिन चिराग पासवान इसमें अलग कहानी बता रहे हैं। चिराग ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में ही नीतीश कुमार ने एनडीए का सहयोगी होते हुए लोजपा के उम्मीदवारों को हराने की कोशिश की थी। लेकिन सफल नहीं हो सके थे।
वहीं एनडीए से अलग हो जाने के बाद भी भाजपा को समर्थन देते रहने और कभी विरोध नहीं करने पर चिराग पासवान कहते हैं कि लोजपा और एनडीए की नीति एक ही है। भाजपा से उनका कभी भी विवाद नहीं रहा। उन्हें दिक्कत सिर्फ नीतीश कुमार से है। भाजपा से कोई समस्या नहीं और नीतीश कुमार स्वीकार्य नहीं। इसलिए एनडीए को छोड़ा। भाजपा से अपने संबंधों के बारे में चिराग कहते हैं कि भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी से उनका प्रेम एनडीए छोड़ने के बाद भी जारी रहा। हर उपचुनाव में हमने भाजपा के उम्मीदवारों को ही समर्थन दिया, उनके लिए प्रचार किया।