मणिपुर की स्थिति को लेकर संसद के मानसून सत्र में गतिरोध जारी है। विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री संसद में मणिपुर मामले पर बयान दें। वहीं सत्ता पक्ष गृह मंत्री द्वारा बयान दिलाने की बात कह रहा है। इसी को लेकर अब विपक्षी दलों का नया गटबंधन INDIA मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहा है। ये प्रस्ताव आज ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम नो-कॉन्फिडेशन मोशन ला रहे है। लोकसभा में कांग्रेस के व्हिप मनिकम टैगोर ने बताया कि हम PM मोदी का घमंड तोड़ना चाहते थे। वे संसद में आकर मणिपुर पर बयान नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा स्पीकर ऑफिस में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। विपक्षी नेताओं का मानना है कि अविश्वास प्रस्ताव सरकार को मणिपुर पर लंबी चर्चा के लिए मजबूर करेगा।
कम से कम 50 सदस्यों को करना होगा स्वीकार
जब लोकसभा में विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ कहते हैं। संविधान में इसका उल्लेख आर्टिकल-75 में किया गया है। जबकि लोकसभा के नियम 198 में इसकी प्रक्रिया बताई गई है। इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। विपक्ष के सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है। इसमें कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव स्वीकार करना होता है। इसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय करते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव फेल होना तय
अगर विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आता है तो उसका फेल होना लगभग तय है। लोकसभा में अकेले बीजेपी के पास 301 एमपी हैं। गठबंधन एनडीए के पास 333 सांसद हैं। भारत की आजादी के बाद से लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। आखिरी अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के खिलाफ जुलाई 2018 में लाया गया था। हालांकि ये बुरी तरह फेल रहा था। हालांकि चौधरी ने कहा है कि हर बार अविश्वास प्रस्ताव जीतने के लिए नहीं लाया जाता।