अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा हथियार है जिसके जरिए विपक्ष मौजूदा सरकार को बहुमत साबित करने के लिए चैलेंज करता है। बहुमत साबित किया तो ठीक, वरना सरकार गिर जाती है। बहुमत साबित ना कर पाने पर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ता है। केंद्र सरकार के खिलाफ अबतक कुल 27 अविश्वास प्रस्ताव सदन में आए हैं। जिनमें तीन अविश्वास प्रस्ताव पास भी हुए और मौजूदा केंद्र सरकार गिर गई। फिलहाल विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहा है। इस खबर में आपको बताएँगे उन सरकारों के बारे में जो गिर गई। साथ ये भी बताएँगे कि अविश्वास को लेकर मोदी सरकार की क्या स्थिति है। लेकिन सबसे पहले अविश्वास प्रस्ताव को भी विस्तार से समझेंगे।
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहा ‘INDIA’
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लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया
- कोई भी सांसद अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है
- अविश्वास प्रस्ताव पर कम से कम 50 सांसदों का हस्ताक्षर कर लोकसभा स्पीकर को देना होता है
- स्पीकर दस दिन के अंदर इसपर सदन की बैठक बुलाते हैं
- सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होती है
- चर्चा के अंतिम में प्रधानमंत्री को जवाब देना होता है
- चर्चा खत्म होने पर वोटिंग कराई जाती है, जिसमें सभी लोकसभा सांसद वोट करते हैं
- सांसदों के वोट के आधार पर ये तय होता है कि प्रस्ताव पास हुआ या नहीं
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पहला अविश्वास प्रस्ताव नेहरू के समय, इंदिरा गांधी के सामने 15 बार फेल
वैसे तो अबतक 27 बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुका है, लेकिन बात करते हैं इसकी शुरुआत की। पहला अविश्वास प्रस्ताव भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय आया था। उनकी सरकार के खिलाफ साल 1963 में जेबी कृपलानी ने ये प्रस्ताव रखा था। जिस पर 21 घंटे तक चली बहस के बाद वोटिंग हुई। हालांकि ये प्रस्ताव फेल साबित हुआ। प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ 62 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 347 वोट पड़े। सबसे अधिक 15 अविश्वास प्रस्ताव का सामना इंदिरा गांधी की सरकार को करना पड़ा था। एक बार तो एक साल के अंदर ही तीन अविश्वास प्रस्ताव आए, वो साल 1981-82 के बीच का था। लेकिन कोई भी अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं हुआ और इंदिरा गांधी हर बार अपनी सरकार बचाने में कामयाब रही।
अविश्वास प्रस्ताव से गिर गई केंद्र की तीन सरकारें
भारत के संसदीय इतिहास में तीन ही अविश्वास प्रस्ताव पास हुए हैं। जिसने केंद्र की सरकार को गिरा दिया। पहली सरकार थी वी.पी सिंह की जो अविश्वास प्रस्ताव के कारण गिरी थी। साल 1990 में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। उस वक्त राम मंदिर के मुद्दे को लेकर भाजपा ने वी.पी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। जिस कारण वो बहुमत साबित नहीं कर पाए। दूसरी सरकार साल 1996 में कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने जनता दल के नेता एच डी देवेगौड़ा की थी।साल 1997 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और अविश्वास प्रस्ताव में सरकार बहुमत साबित नहीं कर सकी।तीसरी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की थी जिसके खिलाफ साल 1998 में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया। महज एक वोट के अंतर से वाजपेयी सरकार गिर गई थी।
मोदी सरकार के खिलाफ आ रहा दूसरा अविश्वास प्रस्ताव
मौजूदा केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रहा है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने भी इसे मंजूरी दे दी है। जल्द ही चर्चा की तारीख भी तय हो जाएगी। बता दें कि ये दूसरी बार है जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने जा रहा है। इससे पहले मोदी सरकार के पहले टर्म के दौरान साल 2018 में प्रस्ताव आया था। जो बुरी तरह से फेल हुआ था। इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का फेल होना लगभग तय माना जा रहा है। क्योंकि लोकसभा में अकेले भाजपा के पास 301 सांसद हैं। गठबंधन एनडीए के पास 333 सांसद हैं।