शिक्षा विभाग की कमान संभालते ही के के पाठक हर रोज नए फरमान को लेकर सुर्खियों में छाए हुए है। शिक्षक से लेकर स्टूडेंट्स तक उनके आने के बाद चौकने हो गए है। उनकी स्कूल में उपस्थिति दर्ज होने लगी है। जहां पहले स्कूल में स्टूडेंट्स तो नदारद रहते ही थे। शिक्षक का भी वहीं हाल था। स्कूल भगवान भरोसे चल रहा था। के के पाठक का शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव का पद संभालते ही चीजें बदलने लगी है।
शिक्षक से लेकर स्टूडेंट्स तक स्कूल में टाइम से आने लगे है। इससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने लगी है। के के पाठक ने नया फरमान जारी किया है। के के पाठक अनुश्रवण अभियान की सफलता को देखते हुए इस व्यवस्था को अनुश्रवण व्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया है।
प्रतिदिन 22-23 हजार स्कूल का होता है निरीक्षण
दरअसल, के के पाठक के निर्देश के बाद प्रत्येक दिन औसतन 22 हजार से 23 हजार विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है निरीक्षण व्यवस्था से विद्यालयों में शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। ऐसे में अनुश्रवण अभियान की सफलता को देखते हुए इस व्यवस्था को अनुश्रवण व्यवस्था के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए के के पाठक ने 26 जुलाई को सभी जिला के डीएम को पत्र लिखा है। जिसमें विद्यालय की जांच को आगे भी जारी रखने का निर्देश दिया है।
केके पाठक ने आगे लिखा है कि सभी डीएम प्रत्येक माह इस व्यवस्था के अनुसार निरीक्षण का रोस्टर अस्थाई रूप से निर्गत करें, ताकि विद्यालयों का निरीक्षण एक स्थाई प्रक्रिया बने। वहीं शाम को मीटिंग रखने से मना किया गया है। दरअसल 24 जुलाई से शाम 4:00 से 6:00 तक जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारी प्रधानाध्यापक से विसी से जुड़ते हैं। ऐसे में जिला स्तर पर शाम को बैठक न बुलाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा है कि दोपहर में ही जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बैठक रखने की परंपरा स्थापित करें।