बिहार में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पहले से ही ठप है। ना डॉक्टर के आने का कोई टाइम है न जाने का। ना मरीजों के लिए अस्पताल में कोई व्यवस्था है। जिस वजह से अक्सर मरीजों को सफर करना पड़ता है। कई बार तो डॉक्टर के देर से आने से मरीज दम का इलाज टाइम से नहीं हो पाता और वो दम तोड़ देते है। जिसके लिए अस्पताल में बायोमेट्रिक हाजिरी बनाने को कहा गया है। ताकि डॉक्टर टाइम पर आ सके। पर डॉक्टर को ये मंजूर नहीं है। जिसके खिलाफ डॉक्टर हड़ताल करेंगे साथ ही अपनी कई मांगों को लेकर डॉक्टर दो दिनों के हड़ताल पर बैठेंगे और मरीजों का इलाज नहीं करेंगे।
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दो दिनों तक काली पट्टी बांध कर डॉ. करेंगे काम
बिहार में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने के लिए तेजस्वी लगातार प्रयासरत है। आधी रात को अस्पतालों के निरीक्षण के लिए निकल जाते है और मरीजों से बात कर अस्पताल की व्यवस्था सही कराने का आश्वासन भी दिया। अस्पताल की व्यवस्था सही करने के लिए कई कदम भी उठाए पर डॉक्टरों को ये मंजूर नहीं है और इसके खिलाफ डॉक्टर ने हड़ताल करने का फैसला लिया है।
रविवार को सरकारी डॉक्टरों के संगठन बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ यानि भासा ने डॉक्टरों के साथ बैठक कर यह निर्णय लिया है कि 16 और 17 अगस्त को सभी डॉक्टर काली पट्टी बांध कर काम करेंगे और 18 और 19 को ओपीडी में काम नहीं करेंगे। वे ओपीडी से हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताल उनकी कई मांगों को लेकर है जिसमें बायोमेट्रिक हाजिरी भी है। डॉक्टरों का कहना है कि वह कि बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं बनाएंगे। डॉक्टरों का कहना है कि पहले सरकार पहले कार्य अवधि का निर्धारण कंरे और फिर उनके लिए आवास की व्यवस्था करे। तब बायोमेट्रिक हाजिरी की बात करे। इसके साथ ही डॉक्टरों की मांगों है कि पति-पत्नी की एक जगह ही पोस्टिंग हो। इसके अलावा डायनमिक वेतन वृद्धि और नियमित प्रमोशन की मांग की गई है।
ट्रेनिंग पर नहीं जाएंगे डॉक्टर
बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ ने डॉक्टरों को प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने पर रोक लगाने की मांग की है। संघ ने कहा है कि बिपार्ड में डॉक्टरों को ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है लेकिन वहां कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बिपार्ड में ट्रेनिंग के दौरान चिकित्सकों को उचित आवास, भोजन और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करे उसके बाद ही अगले बैच को भेजा जाएगा। ट्रेनिंग के दौरान 12 सरकारी डॉक्टरों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगा है। जिसे हटाने की मांग की गई है। इसके साथ ही सेवारत चिकित्सकों के लिए पीजी और डीएनबी में सीट आरक्षित करने की मांग की गई है। वहीं, डॉक्टरों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने की भी मांग है। संघ ने कहा है कि सारे अस्पतालों और चिकित्सा केंद्र में पुलिस बल की व्यवस्था की जाए और मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। स्वास्थ्य सेवा संघ ने अपनी इन मांगों को लेकर सरकार को 12 अगस्त तक का समय दिया है। अगर सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो फिर डॉक्टर हड़ताल करेंगे।