समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज किया गया है। हालांकि इसपर अभी मंजूरी नहीं मिली है। लेकिन इसको लेकर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर जमकर बरसे। उन्होंने कहा समलैंगिक विवाह कर हमारी संस्कृति आघात करने का प्रयास किया जा रहा था। हमारी संस्कृति में विवाह को कांट्रेक्ट नहीं माना जाता लेकिन इसे कॉन्ट्रैक्ट मानते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का विषय आ रहा था। इस पर बहुत चर्चा हो गई, लेकिन क्या समाज ने इस पर अपना मत प्रकट किया है। समलैंगिकता विवाह के तहत परिवार और कुटुंब संस्था पर आघात करने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्यपाल ने दिया गीता का उपदेश
मंगलवार को पटना में अंतर्राष्ट्रीय चिन्मय मिशन फाउंडेशन के 71 में स्थापना दिवस के मौके पर पहुंचे राज्यपाल समलैंगिकता पर जमकर बरसे और गीता का उपदेश का हवाला देते हुए कहा कि, इस पर चुप मत बैठिए और विरोध में अपना मत दर्ज कराईए। राज्यपाल ने कहा की बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक विषय सामने आ गया समलैंगिक विवाह, इसे मंजूरी देने का तो उन्हें बहुत आश्चर्य लगा। राज्यपाल ने कहा कि आज हमारे विचारों और संस्कारों का ठीक से आदान-प्रदान हो रहा है तो हमारे कुटुंब व्यवस्था के कारण हो रहा है। इसी पर आघात करने का जब प्रश्न आता है तब हम चुप क्यों बैठे। भगवत गीता का ही आदेश है, भगवान श्री कृष्ण कहते हैं चुप बैठने का समय नहीं है आगे बढ़ो विचार करो और अपना मत सबके सामने रखो।
इसके विरोध में आगे जाकर जो कहना है कह लीजिए, किसने रोका है। इसे करने की आवश्यकता थी लेकिन हमने नहीं किया, ऐसे अनेक प्रसंग आने वाले समय में आने वाले हैं इसलिए सचेत रहना होगा।
“भारत में विचारों और संस्कृति की शक्ति है”
भारत में विचारों की शक्ति है, संस्कृति की शक्ति है, आचार्य की शक्ति है, वह हमारे आध्यात्मिकता में है। हमारी आध्यात्मिकता जितनी श्रेष्ठ है, जितनी सबल है, उतना साथ हमारा विश्व में बनता जाएगा, उसे अलग से बनाने की आवश्यकता नहीं है। जब हमारा देश 1947 में राजनीतिक रूप से आजाद हुआ तो पूरा विश्व भारत को उम्मीद की नजरों से देख रहा था कि भारत कुछ देगा लेकिन उस समय के नेताओं ने ऐसी इच्छा शक्ति जाहिर नहीं की। हमारे नेता ‘ईजम-ism’ में फंसे रहे। जब दुनिया में कैपिटलिज्म, सोशलिज्म, और कम्युनिज्म धराशाई हो गया, तो हम इसे अपने यहां अपनाने लगे। विश्व को एहसास हो गया कि भारत से कुछ मिलने वाला नहीं है।
लेकिन वह एक संक्रमण काल था और बीते 10 वर्षों से देश को एक ऐसा नेतृत्व मिला है जो एक बार फिर से भारत की श्रेष्ठता को दुनिया में साबित कर रहा है। हमारी वसुधैव कुटुंबकम की जो विचारधारा रही है उस पर अमल किया जा रहा है। अब दुनिया एक बार फिर से भारत को उम्मीद की नजरों से देख रही है।समलैंगिकता पर बरसे राज्यपाल, बोले- हमारी संस्कृति संस्कार और सभ्यता पर आघात पहुंचाने का हो रहा प्रयास, चुप मत बैठिए, विरोध में अपना मत दर्ज कराईए।