बिहार में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग वाली सभी याचिकओं पर एक साथ सुनवाई की। आज की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए कोर्ट से एक हफ्ते का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने मांग को स्वीकार कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख निर्धारित की है।
पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
दरअसल पटना हाई कोर्ट ने जातीय गणना करने के लिए स्वीकृति दे दी है। पटना हाईकोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है। इसके बाद याचिका करता के तरफ से जातीय गणना का ब्योरा रिलीज नहीं करने की मांग की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई 21 अगस्त तक टाल दी गई थी।
दरअसल, पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है। इसके बाद याचिका करता के तरफ से जातीय गणना का ब्योरा रिलीज नहीं करने की मांग की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई 21 अगस्त तक टाल दी गई थी
बता दें कि बीते 1 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार का यह काम नियम संगत है और पूरी तरह से वैध है। राज्य सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। हाईकोर्ट ने बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण को ‘वैध’ करार दिया था। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं