वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चाओं ने अब एक स्वरूप धारण कर लिया है। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कमेटी बन चुकी है। कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। गृहमंत्री अमित शाह कमेटी के सदस्य हैं। तो कमेटी में कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी भी कमेटी के सदस्यों की सूची में शामिल हैं। लेकिन इस कमेटी में कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाकर भाजपा के करीब आ चुके गुलाम नबी आजाद का नाम देखकर कांग्रेस भड़क गई है।
खड़गे का नाम नहीं शामिल
दरअसल, केंद्र सरकार ने लोकसभा में मौजूद सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को तो वन नेशन वन इलेक्शन के लिए बनी कमेटी का सदस्य बनाया है, लेकिन राज्यसभा से इस पद पर बैठे नेता को दरकिनार कर दिया है। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैं। लेकिन केंद्र सरकार की कमेटी में भूतपूर्व नेता को शामिल किया गया है, जो गुलाम नबी आजाद हैं। इसी फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है और इसे संसद का अपमान बताया है। वैसे अधीर रंजन चौधरी ने समिति में शामिल होने से इनकार भी कर दिया है।
ध्यान भटकाने की नौटंकी : कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि यह समिति भारत के संसदीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का एक व्यवस्थित प्रयास है। संसद का अपमान करते हुए भाजपा ने राज्यसभा के सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे के बजाय एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष को समिति में नियुक्त किया है। वेणुगोपाल का यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार अडानी घोटाले, बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह नौटंकी कर रही है। गौरतलब है कि कमेटी में वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी शामिल हैं। साथ ही कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं।