बिहार में जातीय गणना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अधिकारिक बेवसाइट पर सूचना दी है। दरअसल, जातीय गणना के डेटा रिलीज पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद मामले में आज सुनवाई की जाएगी। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसबीएन भट्टी की पीठ में चल रही है।
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केंद्र ने वापस लिया था दायर हलफनामा
जातीय गणना को लेकर केंद्र सरकार की ओर से 28 अगस्त को दाखिल हलफनामा वापस ले लिया गया है और नए हलफनामा दायर किया गया है पहले दायर हलफनामा में यह कहा गया था कि जनगणना जैसी प्रक्रिया करने का हकदार केंद्र के अलावा कोई नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री के मंत्रालय में रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा दायर हलफनामा को यह कहते हुए वापस ले लिया गया कि – “संविधान के तहत या अन्यथा ( केंद्र को छोड़कर) कोई अन्य निकाय जनगणना या जनगणना के समान कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है। जिसके तहत अब राज्य जातीय सर्वे या उससे जुड़े आंकड़े जुटा सकती है। इसपर किसी प्रकार का कोई रोक नहीं लगाया जा सकता है। इससे पहले बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट में कहा गया था कि यह जनगणना नहीं बल्कि सर्वे है। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को सर्वे कराने को हरी झंडी दी थी। जिसके बाद बिहार सरकार ने कुछ ही दिनों में सर्वे पूरा कर लिया।
पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
दरअसल पटना हाई कोर्ट ने जातीय गणना करने के लिए स्वीकृति दे दी है। पटना हाईकोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी। इस दौरान बिहार सरकार ने कहा था कि बिहार में सर्वे का काम पूरा हो चुका है। आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है। इसके बाद याचिकाकर्ता के तरफ से जातीय गणना का ब्योरा रिलीज नहीं करने की मांग की गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को भी खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई 21 अगस्त तक टाल दी गई थी।
21 अगस्त की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग वाली सभी याचिकओं पर एक साथ सुनवाई की थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना औऱ जस्टिस भट्टी की बेंच से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसमें एक हफ्ते का समय मांगा था। तुषार मेहता की मांग को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने इस मामले में समय दिया था। इस मामले को लेकर तुषार मेहता का कहना था कि वो किसी के साइड से नहीं है। लेकिन इस प्रक्रिया के कुछ नतीजे होते है जिसके लिए एक सप्ताह का टाइम चाहिए। जिसके बाद 28 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा हलफनामा दायर किया गया था जिसे वापस ले लिया गया था।