[Team insider] बापू के बिना देश की आजादी की कल्पना नहीं की जा सकती है। उनके योगदानों को देश सदियों तक याद रखेगा। कुछ दिनों के बाद बापू का बलिदान दिवस मनाया जाएगा, लेकिन हजारीबाग में बापू को रोज मारा जा रहा है। स्वच्छता बापू के दिल के बेहद करीब था। सरकार के स्वच्छता अभियान का लोगो भी बापू का चश्मा है। लेकिन, हजारीबाग में बापू की प्रतिमा के पास से स्वच्छता नदारद है।
तोड़ दी बापू की उंगलियां
परिसर को कूड़ादान बना दिया गया है। झील के किनारे लगी 10 फीट की बापू की प्रतिमा की यह दास्तान है। ऊपर से इस पर लिखे गए अश्लील शब्दों ने लोगों को शर्मसार कर दिया है। राष्ट्रपिता की प्रतिमा पर लिखी असंख्य गालियां इसक गवाह हैं। उनकी टूटी उंगलियां बताती हैं, इसे अंजाम देने वाला शख्स नहीं जानता कि उसने क्या किया और किसकी उंगली तोड़ी हैं।
प्रतिमा से चंद कदमों की दूरी पर पर रहते हैं जिले के सभी आला-अधिकारी
बापू की जिस प्रतिमा के हाल की चर्चा कर रहे हैं, यह हजारीबाग के उस स्थान पर है जहां से 500 मीटर की दूरी पर जिले के सभी वरीय पदाधिकारियों का आवास है। प्रतिमा से चंद कदमों की दूरी पर एसडीएम, डीआइजी और आयुक्त का आवास है तो 500 मीटर की दूरी पर उपायुक्त आदित्य कुमार आनंद रहते हैं।
देश के बापू का अंग कर दिया गया भंग
शहर के सेहत पसंद लोग रोज भी यहां सैकड़ों की संख्या में टहलने आते हैं। लेकिन बापू की प्रतिमा की इनमें से किसी ने सुध नहीं ली। प्रतिमा की स्थापना 2015 में तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार ने इस उद्देश्य से कराई थी कि लोग बापू से प्रेरणा लेंगे। शहर को साफ रखेंगे। लेकिन यहां तो बापू की प्रतिमा को ही बदरंग बना दिया। अश्लीलता भरे शब्दों से उनका शरीर पोत दिया गया। उनका अंग भंग भी कर दिया गया।
1925 में पहली बार हजारीबाग आय़े थे बापू
हजारीबाग से बापू का लगाव रहा है। राजनीति विज्ञान के शिक्षक डा. प्रमोद कुमार बताते हैं कि 1925 में पहली बार उनका आगमन हजारीबाग में हुआ था। 18 सितंबर को उन्होंने संत कोलंबा कालेज में विद्यार्थियों को संबोधित किया था। तब यहां के लोगों व नगरपालिका की ओर से राष्ट्रीय आंदोलन में सहयोग के लिए 1300 रुपये दिए गए थे। इसके बाद भी दो बार और उनका आगमन हजारीबाग में हुआ।