बिहार पुलिस में होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा अहोटकर से तंग होकर DIG अनुसूइया रणसिंह साहू ने 13 पन्नों का एक पत्र लिखा है। इस पत्र में डीआईजी ने उसी डीजी शोभा अहोटकर पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं, जिस पर कुछ माह पहले विभाग के तत्कालीन आईजी विकास वैभव ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। हालांकि उस मामले में विकास वैभव को ही किनारा कर दिया गया था। विकास वैभव को होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज से हटाकर पहले वेटिंग फॉर पोस्टिंग रखा गया और फिर योजना पर्षद में परामर्शी बना दिया गया। अब एक बार फिर विभाग में दो आईपीएस अधिकारियों के बीच तलवार खिंच गई है। पिछली बार मामला सिर्फ प्रताड़ना का था। इस बार आरोप प्रताड़ित करने के साथ वित्तीय घोटाले का भी है।
“छह महीने से किया जा रहा प्रताड़ित“
बता दें कि होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज की डीजी शोभा अहोटकर पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए 13 पन्नों का पत्र होमगार्ड की डीआईजी अनुसूइया रणसिंह साहू ने लिखा है। डीजी शोभा अहोटकर के खिलाफ लिखे पत्र में डीआईजी अनुसूया रणसिंह ने लिखा है कि उनके पत्र को ‘त्राहिमाम संदेश’ के रूप में देखा जाए। पत्र में लिखा है कि उन्हें सुनियोजित तरीकों से फंसाने के लिए जाल बिछाया जा रहा है और विभिन्न तरीकों से पिछले छह महीनों से मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। यह पत्र उन्होंने डीजी शोभा अहोटकर को ही लिखा है। साथ ही इसकी प्रतिलिपि डीआईजी ने बिहार क मुख्य सचिव, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह विभाग के विशेष सचिव और गृह विभाग के सचिव को भी दी है।
“भ्रष्टाचार उजागर करने की मिली सजा“
DIG ने पत्र में फायर ब्रिगेड की 138 गाड़ियों की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका यह भी दावा है कि उन्होंने इस भ्रष्टाचार को रोकने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश के कारण उन पर ही आरोप लगाकर स्पष्टीकरण मांगा गया है। डीआईजी अनुसूइया रणसिंह ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि उसके बाद उन्हें फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की खरीद के लिए बैकडेट में फाइल पर साइन करने को कहा गया। उन्होंने लिखा है कि लगातार मानसिक प्रताड़ना से बुरी तरह तनाव में आ गयी। डॉक्टर की सलाह पर 31 मार्च 2023 को मेडिकल लीव पर चली गयी। उसी दौरान फायर ब्रिगेड की गाड़ियों की खरीद का टेंडर रद्द करना पड़ा। डीआईजी ने लिखा है कि मेरी पहल के कारण टेंडर रद्द होने से सरकार के साढ़े 6 करोड़ रूपये बचे। लेकिन मेरे मेडिकल लीव के दौरान ही मुझ पर आधारहीन आरोप लगाकर स्पष्टीकरण मांगा गया और गृह विभाग को पत्र भेजा गया।