आज लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लेकर चर्चा हो रही है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल ने इस बिल का समर्थन किया है। जदयू ने भी इस बिल का समर्थन किया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने चर्चा में भाग लिया और बताया कि उनकी पार्टी इस बिल के समर्थन में है। लेकिन ललन सिंह यही नहीं रुके उन्होंने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए खूब गरजे।
‘ये बिल विपक्षी दलों के गठबंधन का पैनिक रिएक्शन में आया है’
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद ललन सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी इस बिल के समर्थन में हैं। उन्होंने कहा कि हम इसलिए इस बिल का समर्थन कर रहे हैं है क्योंकि हमारा विश्वास नारी सशक्तिकरण में है। लेकिन ललन सिंह ने इस बिल को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि ये बिल जो 26 दलों का गठबंधन बना है उसके पैनिक रिएक्शन में आया है। ये 2024 का सबसे बड़ा चुनावी जुमला है। ये महिलाओं को छलने का काम है, 2014 में इन्होने युवाओं को हर साल दो करोड़ रोजगार देने के नाम पर छला और गरीबों को काला धन वापस लाकर 15-15 लाख देने के नाम पर छला। इस बार ये देश की महिलाओं को छलना चाहते हैं। क्योंकि इनकी मंशा ठीक नहीं है।
यदि इनकी मंशा ठीकहोती तो इन्होने 2021 में ही देश में जाति आधारित गणना आरंभ कराया होता। जो इस देश की मांग और आवश्कता है। इस सदन में भी जाति आधारित जनगणना की मांग होती रही लेकिन इन्होने नहीं कराया। गरीबों, पिछडों, अतिपिछड़ों के प्रति न्याय करने में इनका विश्वास नहीं है। अगर इन्होने शुरू कराया होता तो अबतक जनगणना खत्म हो गया होता। जिससे ये महिला आरक्षण बिल आज लागू हो गया होता। इन्होने 334A का जो प्रावधान किया है वो अनिश्चित काल तक चलता रहेगा और 2024 का भारी जुमलेबाजी कर के महिलाओं को छलने का काम किया जाएगा। लेकिन इस देश की जनता ये जान चुकी है कि ये लोग भारी जुमालेबाज हैं।
‘केंद्र सरकर को महिला सशक्तिकरण नहीं कुर्सी से मतलब है’
ललन सिंह ने कहा कि बिहार में 2005 में हमारी सरकार बनी और 2006 में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिहार पहला राज्य बना। 2015 में जब महागठबंधन के सरकार बनी तो 2016 में 35 प्रतिशत राज्य सरकार की सारी सेवाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया गया। उन्होंने कहा कि कल प्रधानमंत्री आकड़े की बात कर रहे थे। आकड़ा तो आपका पास 2019 से था तब क्यों नहीं ये बिल लाया। जब पटना, बेंगलुरु और मुंबई में जब विपक्षी दलों की हुई बैठक से इनलोगों में घबराहट हो गई। इसी घबराहट में ये बिल लाया गया है। ललन सिंह ने कहा कि बिहार सरकर ने जीविका के माध्यम से 1 करोड़ तीस लाख महिलाओं को सशक्त करने का काम किया है। केन्द्र की सरकर को महिला सशक्तिकरण से कोई मतलब नहीं ही इन्हें बस अपनी कुर्सी से मतलब है।
‘BJP आरक्षण विरोधी है’
ललन सिंह ने कहा कि इस सरकार को आज ही ये ऐलान करना चाहिए कि ये देश में जाति आधारित जनगणना कराएँगे। लेकिन ये ऐसा नहीं कहेंगे क्योंकि ये लोग आरक्षण के विरोधी हैं। 2015 में इनलोगों को गाईड करने वाली संस्था के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि आरक्षण पर पुनर्विचार होना चाहिए। आरक्षण कोई इनकी दें थोड़ी है जिसपर पुनर्विचार होना चाहिए। आरक्षण इनकी कृपा से नहीं संविधान के कारण प्राप्त हुआ है। आज जो महिला आरक्षण बिल लाया गयुआ है उसमें भी पिछडों औरअतिपिछडों को आरक्षण दिया जाना चाहिए। आज जब बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कराया तो केंद्र सरकर उसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में खड़ी हो गई। यही इनका असली चेहरा हैं।