RANCHI : कुर्मी समुदाय ST सूची में शामिल होने की मांग को लेकर आक्रोशित है। बीते दिनों कुर्मी समुदाय ने रेल टेका डहर छेका के माध्यम से राजधानी रांची से सटे कई स्टेशनों पर प्रदर्शन कर और मांग किया कि उन्हें ST सूची में शामिल किया जाये। वहीं समुदाय के लोगों ने 25 सितंबर को झारखंड के मुख्य सचिव से वार्ता की बात तथा 2 अक्टूबर को केंद्रीय गृह सचिव से वार्ता होगी इस बातचीत के बाद आंदोलन की दिशा तय होने की बात कही थी, लेकिन अल्टीमेटम यह भी दिया था कि मांगे नहीं पूरी होने पर आगे भी प्रदर्शन जारी रहेगा।
ऐसे में कांग्रेस कोटे से मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की से इस विषय पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आज जो आदिवासियों के हालात हैं, इतने सारे कानून आदिवासियों के लिए बनाए गए हैं तब भी आदिवासी या जनजाति समुदाय एक ऐसा समुदाय है जो सबसे पिछड़ा हुआ समाज है।उन्होंने कहा कि चाहे शिक्षा का मामला हो या चाहे प्रतिनिधित्व का मामला हो, तमाम चीजों में सबसे ज्यादा अगर आज कोई पीछे है तो वह आदिवासी समाज है तो हम उस समाज को आज भी चाहे रिजर्वेशन देने के बाद भी समाज को कैसे लाभ देना है यह हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। आज के समय में आप देखेंगे ऐसे कई आदिवासी या जनजाति समुदाय हैं जैसे चिक बड़ाईक हो या लोहार हो या चाहे लातेहार जिला में रहने वाले भुयींयार मुंडा हो उन सभी को लिस्ट से बाहर दिया गया है।
इन सभी को कैसे उनका अधिकार दिलाया जाए, यह हमारी चिंता होना चाहिए ना की जो आदिवासी समाज या समुदाय पहले से सूची में शामिल हैं उनको दरकिनार करके नए समुदाय या समाज को सूची में शामिल करके जोड़ते जाएं। यह सही तरीका नहीं है आदिवासी समुदाय या समाज के लोगों को न्याय दिलाने का। शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि कुडमी समाज को सारे दस्तावेजों के साथ कोर्ट के शरण में जाना चाहिए, अगर कोर्ट सारे दस्तावेजों को जांच कर सूची में शामिल करने के लिए आदेश देगी तो उन्हें सरकार के पास जाना चाहिए।