राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा की कविता ‘ठाकुर’ पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। पहले जहां पार्टी के विधायक और आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने इसपर आपत्ति जताई जिसके बाद आनंद मोहन का पूरा परिवार बीच में आ गया। इसके बाद इस मामले में जदयू के संजय सिंह, भाजपा के नीरज बबलू, राजद के टुन्ना जी पांडेय, जदयू के संजय झा इस मामले में बोलते गए और बवाल राजपूत वर्सेस ब्राह्मण में कन्वर्ट होता गया। मामला राजद के नेताओं के बीच ही शुरू हुआ था, तो उम्मीद थी कि लालू यादव मामले में बीच-बचाव करेंगे। लेकिन लालू ने मनोज झा को डिफेंड कर आनंद मोहन को किनारे कर दिया। वहीं अब इस मामले को लेकर सांसद मनोज झा ने भी अपनी सफाई दी है, मनोज झा ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कविता कहने से पहले ही कहा था कि यह किसी जाति के लिए नहीं है। इसके बावजूद भी लोग बिना पूरी कविता सुने और समझे मुझे टारगेट कर रहे है। मुझे धमकी भरे कॉल किए जा रहे है। मेरी कविता का किसी जाति से कोई लेना देना नहीं है। ठाकुर कविता में ‘ठाकुर’ प्रभुत्व का प्रतीक है।
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“72 घंटे से आ रहा धमकी भरा कॉल“
सांसद मनोज ठाकुर ने ठाकुर कविता को लेकर अपनी सफाई दी है। उन्होंने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि जो लोग मेरी कविता का विरोध कर रहे है। उन्होंने ना कविता पढ़ा है ना ही समझा है। कोई भी संसद में दिए मेरे भाषण को पूरा सुनेगा, ‘ना कि वॉट्सऐप वाला’, उसे समझ आएगा कि मैंने क्या कहा है। मेरी कविता का किसी जाति विशेष से लेना देना नहीं है। मेरी कविता में ठाकुर शब्द प्रभुत्व का प्रतीक है। मैंने यह भी कहा था कि ठाकुर मेरे अंदर भी हो सकता है। जिन लोगों ने भी ठाकुर कविता का विरोध किया है उन्हें ना तो कविता से मतलब है ना ही दलित बहुजन समाज की कोई चिंता है। उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कविता क्या थी ना ही इस बात से की कविता से पहले और बाद में मैंने क्या कहा, अगर समाज की यही स्थिती है तो मैं क्या करूं। मनोज झा ने आगे कहा कि पिछले 72 से मुझे धमकी भरे कॉल आ रहे है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी इसपर अपनी बात खुलकर रखी है। इसके बाद भी इस पर विवाद हो रहा है।