वैशाली जिसे लोकतंत्र का जनक माना जाता है। आज उसी वैशाली के बारे में बात करेंगे मतलब वैशाली लोकसभा सीट के बारे में । राजपूतों का गढ़ कहे जाने वाले वैशाली में में लंबे समय तक इमरजेंसी से पहले तक कांग्रेस का कब्ज़ा था। बाद में ये राजद का अभेध्य किला बन गया। राजद के कद्दावर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कई वर्ष तक यहाँ राजद का परचम बुलंद रखा। इस सीट पर महिला सांसदों का भी दम खूब देखने को मिला। यहाँ के लोगों ने चार-चार महिला प्रत्यशियों को भी सांसद बनाया।
वैशाली लोकसभा का चुनावी इतिहास
1952 के लोकसभा चुनाव से लेकर 1977 तक वैशाली लोकसभा सीट पर कांग्रेस के एक नेता दिग्ग्विजय नारायण सिंह सांसद काएकक्षत्र राज रहा। 1977 में भी वो जीते लेकिन इसबार भारतीय लोकदल के उम्मीदवार के रूप में। इसके बाद इस सीट पर महिला नेत्रियों का दम देखने को मिला। किशोरी सिन्हा, उषा सिंह और बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जीत कर संसद पहुंची। 1996 से 2014 तक राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह वैशाली के सांसद रहे। 2014 में लोक जन शक्ति पार्टी के राम किशोर सिंह ने रघुवंश प्रसाद को मात देकर चुनाव जीता। 2019 में वैशाली की जनता ने एक और महिला को अपना सांसद चुना। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की बीना देवी यहाँ से सांसद हैं।
राजपूतों का खास प्रभाव
वैशाली लोकसभा सीट पर राजपूतों वोटरों का खास प्रभाव देखने को मिला है। वैशाली लोकसभा सीट पर अबतक हुए चुनावों में सबसे ज्यादा बार राजपूत प्रत्याशी ही जीते। शुरूआती चुनाव से अबतक सिर्फ दो बार यहाँ भूमिहार प्रत्याशी जीते बाकि बार राजपूतों का ही राज रहा। वर्तमान में भी यहाँ की सांसद राजपूत हैं।
वैशाली लोकसभा क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले विधानसभा क्षेत्र
वैशाली लोकसभा सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- मीनापुर, काँटी, बरुराज, पारु, साहेबगंज और वैशाली। जिसमें मीनापुर से राजद के राजीव कुमार, काँटी से राजद के मो. इसरायल मंसूरी, बरुराज से भाजपा के अरुण कुमार सिंह, पारु से भाजपा के अशोक कुमार सिंह, साहेबगंज से राजद के राजू कुमार सिंह, वैशाली से जदयू के सिद्धार्थ पटेल विधायक हैं।