बिहार में राजनीति अब विरोधियों की हैसियत नापने में अधिक मशगूल दिख रही है। गठबंधन का बनना ही जीत-हार की गारंटी नहीं है, दूसरे गठबंधन को कमजोर जताने की कोशिशें उफान मार रही हैं। नीतीश कुमार, लालू यादव, सम्राट चौधरी इस कोशिश के उपरी स्टेज में हैं, तो इसी लाइन में लालू यादव की बेटी रोहिणी भी एंट्री मार रही हैं। सम्राट चौधरी ने लालू यादव पर हमला किया तो जवाब नीतीश कुमार ने दिया। सम्राट ने जवाब नीतीश कुमार को दिया तो जवाब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने दिया है। अब सम्राट ने रोहिणी को जवाब दिया है, तो रोहिणी ने फिर पलटवार किया है। मामला राजनीतिक युद्ध से अधिक पारिवारिक युद्ध में बदलता जा रहा है। साथ ही इसमें जातीय तड़का भी लग रहा है।
रोहिणी भी कूदीं मैदान में
सम्राट चौधरी ने पहले लालू यादव को राजनीतिक कैंसर कहा तो जवाब नीतीश कुमार की ओर से आया कि सम्राट चौधरी की बातों को तूल नहीं दिया जाना चाहिए। उनकी कोई राजनीतिक हैसियत नहीं है। नीतीश कुमार यहां तक कह गए कि सम्राट चौधरी के पिता को भी उन्होंने ही सम्मान दिया था। इसी बात पर बिफरे सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार को जवाब दिया कि जब उनके पिता देश की सेवा में युद्ध कर रहे थे तो नीतीश कुमार हाफ पैंट पहनते थे। साथ ही यह भी कहा कि जिस लालू यादव के साथ वो हैं, उन्होंने गोरौल में नीतीश को कुटवाया था। अब इसी बयानबाजी के जंग में रोहिणी आचार्या भी कूद पड़ी हैं।
रोहिणी ने एक्स पर तंज करते हुए बिना सम्राट चौधरी का नाम लिखे कहा कि – “कुत्ते की दुम को सालों भी सीधी नली में रखो,तब भी टेढ़ी ही रहती है और यही कहावत इस व्याकुल और संस्कारहीन इंसान पे सटीक बैठती है। व्याकुलता और दुस्साहस तो देखिए इसका जिन्होंने इस नमक हराम को सामाजिक और राजनीतिक पहचान दिया, आज उन्हीं का नाम बदनाम कर अपनी राजनीतिक दुकान चमकाने का गंदा और घिनौना खेल खेल रहा। ये मुरेठा नहीं गले में पट्टा बांधकर गोधरा के नरभक्षी के इशारे पर बिहार की राजनीति को कलंकित कर रहा है।
इसके बाद सम्राट चौधरी ने रोहिणी को टैग करते हुए एक्स पर लिखा कि “यह बहन रोहिणी का जवाब नहीं बल्कि लालू जी की मानसिकता का उद्गार है। लालू यादव ने 30 वर्षों तक ऐसे ही लव-कुश समाज को गाली देने का काम किया।” सम्राट के इस ट्वीट में जातीयता वाला एंगल आ गया। तो रोहिणी ने फिर जवाब दिया है कि “जो इंसान खुद अपनी जमीर की नीलामी की बोली लगाकर बहुजन समाज के हितों पे कुठराघात करने वाली पार्टी का चरण पादुका बना हुआ हो तो फिर वो भला कैसे लव-कुश समाज के हितों का शुभचिंतक हो सकता है। गरीब वंचित पिछड़े शोषित समाज को बहुजन के भेष में छिपे इन जैसे मनुवादी लोगों से सतर्क रहना होगा क्योंकि सत्ता के ये ऐसे भूखे भेड़िये हैं जो ईमान को तब तक निलाम करते रहते हैं जब तक इनके स्वार्थी की पूर्ति होती रहे।”