RANCHI : झारखंड केपूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के ख़िलाफ़ मनी लौन्ड्रिंग केस में ट्रायल पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। अदालत ने ED से जवाब मांगा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि जब तक इस मामले का निष्पादन नहीं हो जाता है, तब तक निचली अदालत के ट्रायल पर रोक रहेगी। हाईकोर्ट ने निचली के रिकार्ड की कॉपी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस दौरान अदालत ने ED से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने पूछा है कि किस आधार पर मधु कोड़ा के खिलाफ 3000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल की है, ED इसको स्पष्ट करे। इससे पहले मधु कोड़ा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे और विनय प्रकाश अदालत को बताया कि मधु कोड़ा पर मनगढ़ंत आरोप गठित किया गया है।
चार्जशीट में 3000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग बताई गई
मधु कोड़ा के खिलाफ ED की चार्जशीट में 3000 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग बताई गई है। ये पैसे कहां से आए, इस बारे में नहीं बताया गया है। CBI ने भी मधु कोड़ा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है, उसमें 20 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप है। ऐसे में ED ने कैसे मधु कोड़ा के खिलाफ 3000 करोड़ का मनी लांड्रिंग का मामला बताया है। यह भी कहा गया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने सभी आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। आरोप पत्र दाखिल करने के बाद भी कई आरोपित फरार चल रहे हैं। आरोप गठन के समय ED ने आरोपितों की सुनवाई अलग कर दिया।
2009 में दर्ज किया गया था मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
मधु कोड़ा सहित जितने आरोपित कोर्ट में हाजिर हो रहे थे। उनके खिलाफ आरोप गठन की कार्रवाई के लिए ED ने आवेदन दिया, जबकि जो आरोपित फरार हो गए थे। उन्हें आरोप गठन से अलग कर दिया। गायब रहने वाले आरोपितों को अपीयरेंस के दायरे में रखा गया। ED की यह कार्रवाई गलत है। नियमों के अनुसार, ED को सभी आरोपितों पर एक साथ आरोप गठन की कार्यवाही करनी थी। इसलिए, उनके खिलाफ ED की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। सुनवाई के बाद अदालत ने ED कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी। ED ने मधु कोड़ा एवं अन्य पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 2009 में दर्ज किया है।