बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग नीतीश कुमार की पुरानी है। अलग अलग पार्टियों के साथ सरकार में रहे नीतीश कुमार की यह मांग कॉमन रही है। यह अलग बात है कि न कांग्रेस की सरकार ने इस मांग को माना और न ही भाजपा की मोदी सरकार ने। एक बार फिर नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को उठाने की घोषणा कर चुके हैं। इसी का जवाब देते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद व बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार के कार्य गिनाए हैं।
सुशील मोदी ने साफ कहा है कि “14वें वित्त आयोग ने विशेष राज्य की अवधारणा को ही अमान्य कर दिया है।” मोदी ने यह भी कहा कि “अब किसी राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार को विशेष आर्थिक पैकेज देकर विशेष दर्जा से कई गुना अधिक मदद कर रहे हैं।”
पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि “नीतीश कुमार जब भी केंद्र के विरोधी खेमे में रहते हैं, तब केंद्र की परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में अड़ंगेबाजी करते हैं। चुनाव नजदीक देख कर केंद्र को बदनाम करने के लिए विशेष दर्जे की मांग पर राजनीति शुरू कर देते हैं।”
सुशील मोदी ने गिनवाए मोदी सरकार के कार्य
- एक लाख करोड़ से अधिक राशि खर्च कर बिहार में आधा दर्जन से ज्यादा मेगा ब्रिज और 4-लेन,6- लेन सड़कों का नेटवर्क तैयार हो रहा है। उसमें भी केंद्र सरकार की मदद है।
- बिहार में जो भी बड़ा ढांचागत विकास हुआ, वह विशेष आर्थिक पैकेज और केंद्र की सहायता से संभव हुआ है।
- केंद्रीय मदद से ही राज्य के 2.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं।
- केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार को उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा 1.02 लाख करोड़ की राशि मिलती है।
- केंद्र सरकार ने 8,500 करोड़ रुपये खर्च कर बरौनी खाद कारखाना का आधुनिकीकरण कर इसे फिर चालू कराया।