RANCHI : हाइकोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में अवैध प्रवेश के कारण जनसंख्या में हो रहे बदलाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष सुना। खंडपीठ ने पूछा कि केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की संयुक्त टीम बना कर संताल परगना के पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, दुमका, गोड्डा जिलों में अवैध घुसपैठिये की पहचान करना संभव है या नहीं।
अदालत ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार से इंस्ट्रक्शन लेकर अवगत कराने का निर्देश दिया। इसके लिए दो सप्ताह का समय प्रदान किया गया। मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 13 दिसंबर की तिथि निर्धारित की। इससे पूर्व केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की। केंद्र ने शपथ पत्र दायर कर बताया था कि शक्तियां राज्य सरकार को प्रदान की गयी है। विदेशी लोगों की पहचान कर उन्हें कैंप में रखना है तथा वापस भेज देना है। इस मामले में राज्य सरकार को कार्रवाई करनी है। प्रार्थी डेनियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि साहिबगंज, पाकुड, गोड्डा, जामताड़ा, दुमका की सीमा) जो बांग्लादेश से सटे हुए हैं, उनमें सुनियोजित तरीके से घुसपैठ कराया जाता है।
ये घुसपैठिये स्थानीय आदिवासी लड़कियों से लव जिहाद के तहत शादी करते हैं। आदिवासी जमीन खरीदते हैं तथा धर्म परिवर्तन करा कर डेमोग्राफी में बदलाव कर रहे हैं। इतना ही नहीं, सुरक्षित सीटों पर घुसपैठिये अपनी आदिवासी पत्नी को चुनाव में खड़ा कराते हैं। पिछले कुछ वर्षों में संताल परगना के साहिबगंज, जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, दुमका आदि जिलों में अचानक मदरसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। सीमा से सटे जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठिये आते हैं तथा मदरसा में ठहराये जाते हैं। वहां पर उनका दस्तावेज तैयार होता है। उसके बाद किस घुसपैठिये को कहां जाना है, उसे कहां रहना है, तय होता है तथा योजना के अनुसार उसे अंजाम दिया जाता है। प्रार्थी ने साहिबगंज में (बोरियो प्रखंड में सबसे अधिक) नये स्थापित किये गये लगभग 47 मदरसों की सूची भी याचिका के साथ संलग्न की है।