बिहार के सीएम नीतीश कुमार बार बार अपने उस फैसले का क्रेडिट लेना नहीं भूलते हैं, जिसमें उन्होंने दलितों को दो कैटेगरी में बांटा था। दलित के अलावा जिस कैटेगरी को नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल में बनवाया उसका नाम है महादलित। सीएम नीतीश कुमार इस बात का क्रेडिट भी लेते रहे हैं कि बिहार को पहला महादलित मुख्यमंत्री उन्हीं की देन है। नीतीश कुमार का महादलित कार्ड उनके सोशल इंजीनियरिंग का हिस्सा भी माना जाता रहा है। लेकिन इन दिनों नीतीश कुमार की कुंडली में कभी फलदायी रहा यही ‘महादलित’ योग, दुखदायी बनता दिख रहा है।
दरअसल, पिछले दिनों जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के बीच विधानसभा में जो कुछ हुआ, उसमें नीतीश कुमार कई लोगों के लिए विलेन की तरह बन गए। नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी से तू-तड़ाक वाली भाषा में बात करते हुए उनकी बातों को नॉन सेंस तक कह दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि उन्हीं की मूर्खता से मांझी सीएम बन पाए थे। नीतीश कुमार की यह बात जीतन राम मांझी को खूब चुभी और उन्होंने नीतीश कुमार पर महादलित के अपमान का आरोप लगाया।
अभी जीतन राम मांझी वाला कांड पूरी तरह शांत ही नहीं हुआ कि महादलित कैटेगरी से मंत्री बनाए गए रत्नेश सदा ने नीतीश कुमार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। नीतीश कुमार पर रत्नेश सदा के अपमान का भी आरोप लग रहा है। मांझी को यह मौका भी जदयू के कारण ही मिला है। दरअसल, जेडीयू ने 26 नवंबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में भीम संसद का आयोजन किया गया। इसमें राज्यभर से दलित एवं महादलित समाज के लोगों की भीड़ जुटाई गई थी। भीम संसद के आयोजन में हर जगह अशोक चौधरी का चेहरा आगे रहा। जबकि महादलित मंत्री रत्नेश सदा खास दिखे नहीं।
यही नहीं, भीम संसद के दौरान जब मंत्री रत्नेश सदा मंच से संबोधन के दौरान नीतीश कुमार से कुछ मांग करने लगे। तभी अशोक चौधरी उनके पास पहुंचे और उन्हें अपना भाषण तुरंत खत्म करने के लिए कह दिया। फिर माइक से हटाकर उन्हें साइड में बैठा दिया गया। इसके बाद भीम संसद के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से संबोधित करते हुए मंत्री रत्नेश सदा को झाड़ दिया था। भाषण देते हुए उन्होंने पीछे देखा। फिर रत्नेश सदा से कहा कि तोरा हम मंत्री बनाए, जानबे नहीं करते हो, बैठो।
सीएम नीतीश कुमार और मंत्री अशोक चौधरी के इसी व्यवहार से रत्नेश सदा थोड़े नाखुश से दिख रहे हैं। सीएम पर तो मंत्री रत्नेश सदा ने कुछ नहीं कहा। लेकिन कथित तौर से अपने समर्थक से रत्नेश सदा यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि वे लोग अशोक चौधरी का पुतला फूंके। ऐसे में यह स्पष्ट दिख रहा है कि नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल की ‘महादलित’ योग अभी उन्हें स्थिर नहीं रहने देगा। क्योंकि इसमें एक तरफ वो अशोक चौधरी हैं, जिनसे नीतीश कुमार का प्रेम जगजाहिर है। तो दूसरी ओर वो रत्नेश सदा भी हैं, जो जीतन राम मांझी की काट के तौर पर जदयू में प्रमोट हुए हैं।