चुनाव और राजनीति में धर्म एक अनिवार्य मुद्दा बनता जा रहा है। बिहार में तो बिना चुनाव भी राजनीति और धर्म एक दूसरे से टकराते रहते हैं। कभी छुटि्टयों की शक्ल में तो कभी बयानों की खनखनाहट में। पिछले दिनों में बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा था कि “यह लोग तो खुद दे दो राम दिला दो राम तो 2024 में वापस से सांसद बना दो राम में लगे हुए हैं।” तो दूसरी ओर प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की तुलना कुंभकर्ण से कर दी है। यानि बिहार में होना तो सियासी महाभारत है लेकिन नेताओं ने पात्र रामायण से चुने हैं।
दरअसल, प्रशांत किशोर का नीतीश कुमार पर यह ताजा हमला उस मांग पर आया है, जिसमें नीतीश कुमार को बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा चाहिए। प्रशांत किशोर ने कुंभकर्ण की पेटेंट विशेष नींद का जिक्र करते हुए कहा है कि “नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ सत्ता में रहते हैं, तो कंबल ओढ़कर क्यों सोए रहते हैं? इनको ये सूट करता है कि जब आप केंद्र की सरकार में नहीं हैं, तो केंद्र पर दोषारोपण करिए। अभी नीतीश कुमार की कुछ दिन पहले कुंभकरण की निद्रा टूटी और कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने के लिए आंदोलन होना चाहिए।”
प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि “कोई नीतीश कुमार से पूछने वाला नहीं है कि आप जो 18 सालों तक मुख्यमंत्री रहे, उसमें से 15 सालों तक तो बीजेपी के साथ ही सीएम रहे। साल 2017 से लेकर 2022 तक एनडीए की सरकार बिहार में भी थी और केंद्र में भी थी। उस समय का कोई ऐसा वक्तव्य दिखा दीजिए कि नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ रहते हुए विशेष राज्य के दर्जे की चर्चा की हो या बात तक भी की हो।”
बिहार अब नहीं आएंगे नीतीश के झांसे में : प्रशांत किशोर
दरभंगा के केवटी प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि “नीतीश कुमार की पार्टी के किसी नेता ने संसद में कहा हो कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उस समय उनकी पार्टी के नेता संसद में खड़े होकर मोदी का महिमामंडन कर रहे थे। आज जब लालटेन के साथ आ गए तो भाजपा पर दोषारोपण कर रहे हैं। दो महीने के बाद भाजपा के साथ ये आदमी आ जाएगा, तो लालटेन को गाली देने लगेगा। नीतीश कुमार का चरित्र इस राज्य के लोगों ने तो बहुत देख लिया और अब झांसे में आने वाले नहीं हैं। ये नीतीश कुमार के राजनीतिक करियर का अंतिम दौर चल रहा है।”