एक वक्त था जब केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हटाने के लिए I.N.D.I.A. का गठन हुआ। गठबंधन की तूफानी बैठकों में चट्टानी एकता दिखाने का हर प्रयास भी हुआ। लेकिन एक वक्त ये भी आया, जब इस गठबंधन के सहयोगी दलों को कांग्रेस ने यह कहकर ठंडा कर दिया कि अभी पांच राज्यों में चुनाव है, बात चुनाव के बाद होगी। नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने तो खुले मंच से कांग्रेस के इस व्यवहार पर अपनी वेदना भी दिखाई। अब जब कांग्रेस 5 में 4 राज्यों में कांग्रेस चुनाव हार चुकी है। तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 6 दिसंबर I.N.D.I.A. की बैठक बुलाई है। लेकिन इस बैठक में दलों के संयोजन मुख्य भूमिका निभा चुके नीतीश कुमार ने इस बैठक से कन्नी काट ली है। इसके साथ ही कुछ अन्य नेताओं ने भी इस बैठक में नहीं जाने का फैसला लिया है।
नीतीश कुमार विपक्षी एकता के आधिकारिक संयोजक तो कभी नहीं बन पाए लेकिन दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय उनके अलावा किसी और नहीं दिया जा सकता। पटना की बैठक में तो नीतीश कुमार मेजबान ही थे। बेंगलुरु की बैठक में भी नीतीश शामिल हुए और मुंबई में भी। लेकिन अब दिल्ली की बैठक में नीतीश कुमार नहीं जाएंगे। इसकी वजह तो साफ नहीं है। लेकिन नीतीश कुमार का अभी दिल्ली नहीं जाना तय नहीं माना जा रहा है। कारण नीतीश कुमार की नासाज तबियत भी हो सकती है और चुनावी नतीजों से कांग्रेस की बेरुखी भी। इसके अलावा पांच में से तीन राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन के अनुसार भी विपक्षी दलों की रणनीति बदल सकती है।
ममता-अखिलेश भी बाहर?
दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी I.N.D.I.A. से लगभग बाहर ही हैं। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार पर मिर्च रगड़ते हुए ममता ने उसे ही दोषी बताया है। कांग्रेस को चेतावनी दी है कि सहयोगी दलों को साथ नहीं करना कांग्रेस को भारी पड़ा। ममता बनर्जी का रवैया I.N.D.I.A. के लिए पहले भी सवालों के घेरे में ही रहा है। ममता बैठकों में तो शामिल होती रहीं लेकिन 3 बैठकों के बाद बनी कमेटियों में अपने प्रतिनिधियों का नाम तक नहीं दिया। मुंबई की बैठक के बाद एक तरह से ममता किनारे ही रहीं। दूसरी ओर सपा नेता अखिलेश यादव तो जैसे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार से ही खुश हैं। उनका भी I.N.D.I.A. की बैठक में नहीं जाना तय माना जा रहा है। हालांकि जदयू की ओर से ललन सिंह और संजय झा बैठक में जाएंगे।