पटना हाईकोर्ट ने छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति में नियुक्त हुए प्राथमिक शिक्षकों की बहाली को रद्द करने का फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के फैसले से बिहार के 22 हजार शिक्षकों की नौकरी खतरे में हैं। लेकिन अब ऐसी खबर मिली है कि बिहार सरकार हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है। बिहार सरकार जल्द ही शिक्षकों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी।
सुप्रीम कोर्ट से शिक्षकों को आस
मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षा विभाग ने प्राइमरी स्कूलों में बीएड डिग्री धारी शिक्षकों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। इसको लेकर सैद्धांतिक सहमति दे दी गई है। विभाग सुप्रीम कोर्ट में शिक्षकों के हक में पक्ष रखेगा। क्योंकि पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद उनकी नौकरी पर संकट पैदा हो गया है। उन्हें अब सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, अगर शीर्ष अदालत से भी उन्हें राहत नहीं मिली तो उनकी नियुक्ति रद्द हो सकती है।
हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
बता दें कि, बिहार में छठे चरण की शिक्षक नियुक्ति 2021 में हुई थी। इस दौरान कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बीएड पास अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद पर नियुक्ति पर रोक लगाने की मांग की थी। हालांकि राज्य सरकार ने एनसीटीई की 2018 की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा था कि एऩसीटीई ने बीएड पास अभ्यर्थियों को क्लास एक से पांच तक के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मंजूरी दे दी है।
इसी मामले में 6 दिसंबर को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने अपना फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा है “हम संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से बंधे हैं और राज्य को भी इसका पालन करना होगा। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा क्लास एक से पांच तक की शिक्षक नियुक्ति के संबंध में स्पष्ट फैसला सुनाया जा चुका है। ऐसे में बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।”