नीतीश कुमार को एक बार फिर I.N.D.I.A. की मीटिंग में निराशा हाथ लगी है। बेंगलुरु मीटिंग से ही नीतीश कुमार के लिए पटना वाली मीटिंग जैसा माहौल नहीं दिख रहा है। जिस गठबंधन की शुरुआत उन्होंने की, उसे न सिर्फ कांग्रेस ने हाईजैक कर लिया बल्कि उस गठबंधन की गांठें अब नीतीश कुमार के लिए चिढ़ने वाली स्थिति ला दी है। दरअसल, गठबंधन का संयोजक नहीं बनना नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए असहज करने वाली स्थिति पैदा कर रहा है। तो अभी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाकर ठंडी में गर्मी का अहसास करा दिया है। चर्चा तो यहां तक चलने लगी है कि नीतीश कुमार के दो सहयोगी मंत्री उन्हें कांग्रेस से हाथ छुड़ाने और एक बार फिर कमल में रंग भरने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
लालू-तेजस्वी को ED का समन, पूछताछ के लिए बुलाया दिल्ली
दूसरी ओर, राजद सुप्रीमो लालू यादव और तेजस्वी यादव पर ईडी का शिकंजा कस गया है। दोनों को इसी माह ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है। पूछताछ लैंड फॉर जॉब स्कैम में होनी है, जिसमें लालू और तेजस्वी यादव के साथ पूर्व सीएम राबड़ी देवी भी आरोपी हैं। अगर ईडी-सीबीआई की प्रोसीडिंग में तेजस्वी यादव और लालू यादव दोषी करार दिए जाते हैं तो नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन में बने रहना और मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा चर्चा यह भी है कि एक वरिष्ठ अधिकारी पर भी ईडी की नजर है। कुलमिलाकर नीतीश कुमार के महागठबंधन में रहने के खिलाफ माहौल बनता दिख रहा है। हालांकि नीतीश कुमार और जदयू क्या करेगी, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
29 दिसंबर को दिल्ली में बैठक
19 दिसंबर को दिल्ली में I.N.D.I.A. की मीटिंग हुई। इस मीटिंग से पहले चर्चा यह थी कि सीट शेयरिंग का ठोस मॉडल सामने आएगा, जिसकी डिमांड करने वालों में नीतीश कुमार रहे हैं। लेकिन बैठक में ममता बनर्जी ने पीएम उम्मीदवार के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित कर दिया, जिसे अरविंद केजरीवाल ने समर्थन दे दिया। गठबंधन के संयोजक की कोई चर्चा ही नहीं हुई। तो फिर नीतीश कुमार इससे खुश नहीं है, ऐसे कयास लगाए जाने लगे हैं। नीतीश कुमार ने कोई बयान भी नहीं दिया। दूसरी ओर अगले ही दिन जदयू ने अपनी बैठक की डेट घोषित कर दी। 29 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद के लिए स्थान भी दिल्ली ही तय किया गया। पिछली बैठक पटना में हुई थी।
भाजपा के करीब जाने की भी चर्चा
वैसे तो जदयू के किसी नेता ने आधिकारिक तौर पर गठबंधन से अलग होने या नए राजनीतिक रिश्ते बनाने का बयान नहीं दिया है। लेकिन सांकेतिक तौर पर नीतीश कुमार की चुप्पी को उनकी नाराजगी मानी जा रही है। दूसरी ओर जदयू के सबसे बड़े नेताओं में से एक नेता, जो हाल तक भाजपा पर जबरदस्त हमले करते थे, उनकी भी चुप्पी के मायने निकाले जा रहे हैं। तो चर्चा यह भी है कि बिहार सरकार के दो मंत्री, जो नीतीश कुमार के करीबी हैं एक बार फिर इस कोशिश में हैं कि जदयू और कांग्रेस के रास्ते अलग हो जाएं। हालांकि इस कयासबाजी की आधिकारिक पुष्टि नहीं है।
इशारा कर रही केसी त्यागी की मायूसी
एक ओर जदयू के वरिष्ठ नेताओं के गुपचुप प्लानिंग की चर्चा से बिहार की राजनीति में गरमाहट आ गई है तो दूसरी ओर केसी त्यागी की मायूसी ने इस आग में घी डाल दिया है। मीटिंग के ठीक पहले केसी त्यागी ने कहा कि I.N.D.I.A. की तैयारी ठीक नहीं है। उन्होंने एक निजी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि भाजपा बूथ स्तर पर तैयारी कर रही है और हम अपने पुराने मतभेद ही नहीं भुला पा रहे हैं। इसके साथ ही केसी त्यागी ने संयोजक बनाने पर भी जोर दिया ताकि गठबंधन को दिशा मिले। केसी त्यागी के इन बयानों में नीतीश को सम्मान नहीं मिलने की मायूसी तो दिखी ही कांग्रेस की नीति से जदयू के मोहभंग की स्थिति भी आई। क्योंकि केसी त्यागी ने कहा कि वे चाहते हैं कि मीटिंग करते ही रैलियां, प्रचार का काम शुरू हो। जबकि कांग्रेस ने इसके लिए भी लंबा इंतजार करा दिया है। ऐसे में नीतीश कुमार आगे क्या स्टेप लेंगे, यह भी देखने वाली बात होगी।