बिहार में आय दिन सियासी उठा-पटक की खबरें आती रहती हैं । हाल हीं में सूत्रों के हवाले से जहाँ ललन सिंह के अध्यक्ष पद से हटने की अटकलें लगाई जा रही थी, वहीँ अब रालोजद प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा के फिर से जदयू में शामिल होने के कयास लगाये जा रहे हैं। हालिया कुछ दिनों में जदयू और कुशवाहा के बीच कई राउंड बैठकें भी हुई हैं। जहाँ एक समय कुशवाहा नितीश को लेकर हमलावर थे और कई तीखे बयान उनके खिलाफ जारी किये थे। वहीँ अब जातिगत गणना के बाद से नितीश को लेकर वे सॉफ्ट दिख रहे हैं। जदयू का राजद के साथ गठबंधन करना, उन्हें डिप्टी सीएम न बनाना, आरसीपी के बाद भी उन्हें पार्टी की कमान न देकर ललन सिंह को आगे लाना ,ऐसी तमाम बातों से कुशवाहा नितीश से खफा चल रहे थे और आखिरकार उन्होंने नितीश का साथ छोड़ ही दिया था । इससे पहले भी 2005 और 2018 में उन्होंने नितीश का साथ छोड़ा था। कुशवाहा के जनाधार की बात की जाये तो बिहार में 7-8 % हिस्सा कुशवाहा समुदाय का है। वैसे उपेन्द्र कुशवाहा कभी सीट जीत नहीं पाए ,लेकिन उनका वोट प्रतिशत हमेशा 2.5 से 3% तक रहा है जो दूसरों का खेल बिगाड़ने केलिए काफी है।