लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी तेज हो गई है। सत्तारूढ़ दल राजद और जदयू ने अपनी सीटों का चयन कर लिया है। हालांकि राजद के नेता सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन का कहना है कि इंडिया गठबंधन का शीर्ष नेतृत्व सीटें फाइनल करेगा।गठबंधन 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इंडिया गठबंधन में जदयू के पास सबसे ज्यादा 16 लोकसभा सदस्य हैं। इसके बावजूद जदयू और राजद बराबर-बराबर सीटें लेंगी। यह लगभग तय है। वैसे, 6 सीटें ऐसी हैं, जिस पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद कॉम्प्रोमाइज करने के मूड में नहीं दिख रहे। ये सीटें हैं-छपरा, पाटलिपुत्रा, गोपालगंज, अररिया, उजियारपुर और बक्सर।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की 11 सीटों पर दावेदारी
इंडिया गठबंधन में लोकसभा सीट शेयरिंग पर बात चल रही है। कई बड़े नेता एक-दूसरे से बातचीत कर रहे और एक-दूसरे के मन की टोह ले रहे हैं। बिहार कांग्रेस की दिल्ली में गुरुवार को बैठक आयोजित हुई। उसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 11 सीटों पर दावेदारी से जुड़ी रिपोर्ट सौंपी गई। बैठक बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक ने सीट शेयरिंग फाइनल होने के लिए तय तारीख नहीं बताई, लेकिन कहा कि हम भी चाहते हैं सीट बंटवारा जल्द हो जाए। दूसरी तरफ नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच बातचीत जारी है। दोनों के बीच गुरुवार को 45 मिनट बातचीत हुई। उद्धव ठाकरे ने कॉल पर लालू से बात की है। इसके बीच राहुल गांधी ने न्याय यात्रा का शेड्यूल तैयार किया है। राहुल बिहार में 425 किमी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा करेंगे।
इन सीटों पर लालू की नजरें
छपरा: इस सीट पर बीजेपी से सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी हैं। वह अभी अपनी पार्टी यानी भाजपा से नाराज चल रहे हैं। कयास लगाया जा रहा है कि वे जदयू में शामिल होकर छपरा लोकसभा क्षेत्र छोड़कर महाराजगंज से चुनाव लड़ सकते हैं। तेजप्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय भी यहां से भाग्य आजमा सकती हैं।
पाटलिपुत्रा: यह पटना की वह सीट है, जिस पर लालू की बड़ी बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ी हैं। यहां से लालू के खास रहे रामकृपाल यादव ने मीसा को हराया था।
गोपालगंज : यहां से लालू के साले अनिरूद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव चुनाव जीत चुके हैं। सात साल बाद लालू गोपालगंज गए थे। लालू की आत्मकथा का नाम ही है ‘गोपालगंज से रायसीना’। उनका जन्म फुलवरिया गांव में हुआ है। उस समय फुलवरिया सारण जिले में था। अब गोपालगंज में है।
अररिया: इस लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट 35 फीसदी है। हिंदू वोट 56.6 फीसदी है, इसलिए उम्मीदवार की जीत तभी हो सकती है, जब उन्हें हिंदू वोट भी मिले। बड़ी बात यह कि यह राजद के दिग्गज मुस्लिम नेता तस्लीमुद्दीन का क्षेत्र रहा है।
उजियारपुर : यह क्षेत्र उपेंद्र कुशवाहा का है। जदयू में रहते उपेंद्र ने सबसे ज्यादा विरोध तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर किया था। हालांकि उन्होंने खुद जदयू छोड़ अलग पार्टी बना ली है। क्षेत्र में कुशवाहा और यादव वोट सर्वाधिक है।
बक्सर : यह लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन 1984 के बाद कांग्रेस की जीत मुश्किल हो गई। राजद के लिए खास है। यहां से प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पिछली बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।