पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन, हिंदू धर्म के अनुयायी देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं। देवी शाकंभरी को अन्नपूर्णा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि वे समस्त सृष्टि को अन्न प्रदान करती हैं। पौष पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन देवी शाकंभरी का जन्म हुआ था।
पौष पूर्णिमा तिथि एवं मुहूर्त
- तारीख: गुरुवार, 25 जनवरी, 2024
- तिथि: पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा
- मुहूर्त: सुबह 5:26 से सुबह 6:20 तक
पौष पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्य
- पवित्र नदियों में स्नान करना: पौष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। आप गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान कर सकते हैं।
- दान करना: पौष पूर्णिमा पर दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। आप गरीबों, जरूरतमंदों और मंदिरों को दान दे सकते हैं।
- पूजा करना: पौष पूर्णिमा पर देवी शाकंभरी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। आप मंदिर जाकर देवी शाकंभरी की पूजा कर सकते हैं या घर पर भी पूजा कर सकते हैं।
पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
- पूजा सामग्री:
- देवी शाकंभरी की प्रतिमा या तस्वीर
- चावल
- फूल
- मिठाई
- अन्य प्रसाद
- पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- एक स्वच्छ स्थान पर देवी शाकंभरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- प्रतिमा या तस्वीर के सामने एक थाली में चावल, फूल, मिठाई और अन्य प्रसाद रखें।
- देवी शाकंभरी का ध्यान करें और उन्हें प्रार्थना करें।
- प्रार्थना में, देवी शाकंभरी से अन्न, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें। आप देवी शाकंभरी से अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं।
- प्रार्थना के बाद, देवी शाकंभरी को प्रसाद अर्पित करें।
- प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों में बांट दें।
पौष पूर्णिमा की कथा
एक समय था, जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में देवता हार रहे थे। देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने देवी शाकंभरी को प्रकट किया। देवी शाकंभरी ने देवताओं को अन्न प्रदान किया। अन्न प्राप्त करके, देवताओं ने असुरों को पराजित किया। इसलिए, पौष पूर्णिमा को देवी शाकंभरी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
पौष पूर्णिमा का महत्व
पौष पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिकता और आत्म-चिंतन के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन, लोग देवी शाकंभरी की पूजा करके उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है। दान करने से व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है और उसका जीवन सफल होता है।