खबर आ रही है की बिहार के सिवान जिले से एक चमत्कारी गाय के दूध से अयोध्या राम मंदिर में रामलाला की प्रतिमा का अभिषेक हुआ है। अयोध्या में 22 जनवरी को बड़ी धूम धाम से राम मंदिर उदघाटन का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर देश के अलग अलग हिस्सों से रामलला की सेवा में नाना प्रकार की चीज़ें आयीं। सीता माता की धरती बिहार के विभिन्न क्षेत्रों से भी कई सामन अयोध्या भेजे गए। इसी क्रम में सिवान जिले से एक गाय की चर्चा सुर्ख़ियों पर है। कहा जाता है कि यह गाय बहुत ही चमत्कारी है और साक्षात् इश्वर का ही उपहार है। गाय के मालिक अर्जुन पाण्डेय से हुई मीडिया बातचीत में उन्होंने बताया कि इस गाय ने कभी बच्चे नहीं जने और पशु चिकिस्त्सकों के अनुसार ये कभी मां बन भी नहीं सकती। इसके बावजूद ताज्जुब इस बात का है कि ये गाय बिना मां बने ही दूध दे रही है और वो भी प्रचूर मात्रा में। पाण्डेय बताते हैं कि इस गाय को वे इसके बचपने से ही पालते आ रहे हैं। लगभग 2 साल की गाय की उम्र रही होगी, जब पांडे एक दिन अचानक से देखते हैं कि गोशाला में इस बछिए के थन से दूध की धारा बह रही है। ये देखते ही उन्होंने दांतों तले उंगली दबा ली। पशु चिकित्सक भी गाय के इस हाल को देख दंग रह गये। अर्जुन पांडे को अब यकीन हो चला था कि ये गाय कोई साधारण गाय नहीं, वरण ईश्वर का प्रसाद है और इसी बात से उन्होंने इस गाय को भगवान की सेवा में ही समर्पित कर दिया। ये गाय वर्तमान में सिवान के महेन्द्रनाथ आश्रम में रहती है और जब भी इसका दूध निकलता है, सीधे उस दूध से शिवलिंग का दुग्धाभिषेक कर दिया जाता है।
इस गाय के बारे में एक बात और विशेष है कि इसके सिंग जैसे जैसे बड़े हो रहे हैं,शिवलिंग का आकार लेते जा रहे हैं। इस गाय की साज सज्ज़ा पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है। गाय को हमेशा लाल मखमली कपडा पहनाया जाता है,साथ ही आभूषण के तौर पर पैरो में कड़े और घूँघरू ,सींगों में धातु कवच और गले में घूँघरू और घंटियाँ बांधी जाती हैं। गाय के मालिक अर्जुन पांडे ने बताया की उन्हें गाय के बदले ढेर सारे पैसे भी ऑफर हुए पर उन्होंने साफ़ मना कर दिया। पांडे से हुई मीडिया बातचीत में उन्होंने दावा किया है कि इस गाय के दूध से ही अयोध्या में प्रभु राम का अभिषेक हुआ और भोग के लिए इससे प्रसाद भी बनाए गए।
अब इस चमत्कार में कितना वजन है या कितनी सच्चाई है, ये देखने वाली बात होग।, पर यदि ये सच है तो इसे ‘कलयुग की कामधेनु’ कहने में कोई अतिशयोक्ति न होगी।