बिहार में अचानक राजनीतिक हलचल ऐसी हो गई है कि सरकार आने-जाने पर बात आ गई है। जदयू-राजद की सरकार कांग्रेस के सपोर्ट से चल रही है। लेकिन सीएम नीतीश कुमार की एक बार लालू यादव के परिवार और पार्टी दोनों को चुभ गई है। पहले से ही सरकार के अस्थिर होने की चर्चा चल रही थी, इसी बीच नीतीश कुमार की बात ने लालू परिवार को नाराज कर दिया। दरअसल, पहले खींचतान सरकार के कामकाज और लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के कारण थी। लेकिन सीएम नीतीश की बात ने सीधा लालू यादव के परिवार पर हमला कर दिया। इसी से लालू परिवार नाराज बताया जा रहा है। यही नहीं कहा यहां तक जा रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी के एक मंत्री की सुलह की कोशिशों को भी लालू परिवार की ओर से करारा जवाब मिला है।
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दरअसल, नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच दूरियों की चर्चा पहले से है। लेकिन यह दूरी इतनी भी नहीं थी कि दोनों एक दूसरे से न मिलें। संक्रांति के भोज में नीतीश कुमार सीधे लालू आवास पर पहुंचे। लेकिन बिना गर्मजोशी यह मुलाकात खत्म हुई। इसके बाद लालू यादव और तेजस्वी यादव सीएम नीतीश के घर आए। अगले ही दिन तीन मंत्रियों के विभागों में बदलाव हुआ। तीनों मंत्री राजद कोटे के थे। इसके बाद कर्पूरी जयंती में नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर हमला बोल दिया। जो लालू परिवार को चुभ गई।
नीतीश के बयान के बाद मंत्रियों के विभागों में बदलाव से पटरी पर आ रही जदयू-राजद के रिश्तों को संभालने के लिए जदयू ने प्रयास किया। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार की कैबिनेट के एक मंत्री ने लालू यादव से मुलाकात भी की। इस दौरान उनके परिवार के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। लेकिन नीतीश कुमार के बयान से उठी तल्खी कम नहीं हो सकी। नतीजा यह हुआ कि पटना की राजनीति में दिल्ली की एंट्री हो गई। यानि भाजपा इस मौके में अपना रोल तलाशने के लिए मंथन बैठक करने लगी। इधर पटना में भी बैठकें हुईं। जदयू और राजद के विधायकों की अलग अलग बैठक हुई। लेकिन नतीजा यही रहा कि सभी इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि आगे कौन क्या करता है। ज्यादातर निगाहें नीतीश कुमार के अगले कदम का इंतजार कर रही हैं।