जदयू के वरिष्ठ नेता के सी त्यागी ने आज बयान दिया है कि गठबंधन टूटने का प्रमुख कारण है, कांग्रेस पार्टी की हठधर्मिता। इंडी अलायन्स में अब तक सीट शेयरिंग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं कि गयी थी। अलायन्स की कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई में बैठकें हुई। पर 4-4 महीने बैठ बैठकर! अलायन्स के प्रमुख उद्देश्य पर कांग्रेस का कभी ध्यान ही नहीं रहा। कांग्रेस वो पार्टी है जिसका किसी भी राज्य में अभी कोई ठोस जनसमर्थन नहीं है, लेकिन सीट इन्हें सबसे ज्यादा चाहिए। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि ये कांग्रेस अभी खुद सत्ता में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन हर जगह ये दूसरी क्षेत्रियों पार्टियों की वाजिब सीटों पर डाका डालने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आप स्वयं देख लीजिये इस पार्टी की स्थिति सारे राज्यों में ख़राब ही है। आप देख सकते हैं कि कांग्रेस की बिहार में 1, युपी में 1, बंगाल में 1, महाराष्ट्र में 2, तमिल नाडू में 2-3 सीटें हैं। मतलब कहीं भी इनकी स्थिति लचर ही है। लेकिन सीट बंटवारे के समय स्वयं को एक प्रमुख और बड़ी पार्टी के रूप में पेश करते हैं। के सी त्यागी ने कहा कि जदयू, राजद, टीएमसी, सपा, बसपा, आप आदि जितने भी क्षेत्रीय दल हैं ,सबों ने कांग्रेस के खिलाफ लड़ते हुए ही अपने अपने क्षेत्रीय दलों का गठन किया है। इसी बात को लेकर कांग्रेस को तो इंडी गठबंधन में रखने के लिए कोई सहमत तक नहीं था। इंडी गठबंधन के संयोजक नीतीश कुमार ने ही इसके लिए सबों को मनाया था, जिससे कांग्रेस अलायन्स में शामिल हो पाई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड्गे के कटाक्ष,’आया राम, गया राम’ पर पलटवार करते हुए त्यागी ने कहा कि ये कांग्रेस की ही चाल थी कि अलायन्स के संयोजक की घोषणा के समय टीएमसी की ममता बनर्जी को खडा कर खड्गे का नाम प्रस्तावित करवाया गया। कांग्रेस की लचर स्थिति और षड्यंत्र को देखते हुए हीं जदयू ने इंडी अलायन्स से हटने का फैसला किया है। हालांकि त्यागी ने इस क्रम में राजद पर कोई विशेष टिप्पणी या कोई विशेष दोषारोपण नहीं किया है।