बिहार में पिछले कुछ दिनों से चली आ रही राजनीतिक अस्थिरता रविवार को एक मुकाम पर पहुंच गई। नीतीश कुमार ने सुबह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया। फिर शाम को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। साथ ही 8 मंत्रियों को भी शपथ भी दिला दी। इसमें नीतीश कुमार समेत जदयू के 4 मंत्री शामिल हुए। जबकि भाजपा के तीन, हम सेक्युलर के एक और एक निर्दलीय विधायक को मंत्री पद मिला। नीतीश कुमार के इस पुराने वाले नए गठबंधन में शामिल होना भाजपा के लिहाज से एक उपलब्धि इस मामले में है कि एक और राज्य में एनडीए की सरकार बन गई। लेकिन इस उठापटक में भाजपा के दो नेताओं को बड़ा नुकसान हो गया।
नीतीश 9वीं बार बने बिहार के मुख्यमंत्री, सम्राट-विजय ने ली डिप्टी सीएम पद की शपथ
दरअसल, नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ अपने रिश्ते सुधारते हुए नए गठबंधन की सरकार में शामिल हुए तो भाजपा की ओर से दो उपमुख्यमंत्रियों के नाम सामने लाए गए। इसमें पहला नाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी का है और दूसरा विजय कुमार सिन्हा का। इन दोनों को फायदा हुआ। इसमें सम्राट चौधरी पहले नीतीश कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। जबकि 2020 में विजय कुमार सिन्हा को भाजपा ने एनडीए सरकार के गठन में विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी। लेकिन इन दोनों के चयन में उन नेताओं को नुकसान हो गया, जिन्हें सुशील मोदी की बिहार से विदाई का फायदा 2020 में मिला था।
आपको बता दें कि 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ जीता था। उससे पहले भी एनडीए की सरकार चल रही थी। उस सरकार में सुशील मोदी डिप्टी सीएम थे। लेकिन 2020 के चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने सुशील मोदी को बिहार से रवाना कर दिया। उनके जगह भाजपा ने नीतीश कैबिनेट में दो डिप्टी सीएम बनाए। पहले थे तारकिशोर प्रसाद और दूसरी थीं रेणु देवी। दोनों विधायक तो पुराने थे, लेकिन कैबिनेट तक पहली बार पहुंचे। लेकिन इस बार भाजपा ने इन दोनों को ही मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया है। हालांकि मंत्रिमंडल का विस्तार होना अभी शेष है और तब संभावना है कि उन दोनों को जगह मिल जाए। लेकिन जगह मिल भी गई तो वो डिप्टी सीएम का पद नहीं मिलेगा, जो इसी मेल वाली सरकार में 2020 में मिला था।