राजद के विधान पार्षद रामबली सिंह चंद्रवंशी की सदस्यता रद्द कर दी गयी है, विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने रामबली सिंह चंद्रवंशी के खिलाफ फैसला सुनाया है। विधान पार्षद के खिलाफ राजद के सचेतक सुनील सिंह ने सभापति को पत्र लिखकर रामबली चंद्रवंशी की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी। सुनील सिंह ने शिकायत की थी रामबली चंद्रवंशी राजद के विधान पार्षद होने के बावजूद सार्वजनिक सभाओं में पार्टी नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, ये दलबदल कानून के तहत कार्रवाई का मामला बनता है इसलिए उनकी विधान परिषद की सदस्यता रद्द की जाये। जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई।
सभापति देवेशचंद्र ठाकुर ने लिखा है- माननीय सदस्य डा० सुनिल कुमार सिंह, तत्कालीन उप मुख्य सचेतक (सत्तारूढ़ दल) की याचिका दिनांक 02.11.2023 को स्वीकार करते हुए मैं यह घोषणा करता हूँ कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(2) एवं संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा- 2(क) तथा बिहार विधान परिषद् सदस्य (दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता) नियम, 1994 के प्रावधानों के आलोक में बिहार विधान परिषद् के माननीय सदस्य प्रो० (डॉ०) रामबली सिंह इस सदन के सदस्य होने से निरर्हित हो गए हैं,भारत के संविधान के अनुच्छेद 190(3) (क) के प्रावधान के आलोक में बिहार विधान परिषद् में माननीय सदस्य प्रो० (डॉ०) रामबली सिंह का स्थान आज, दिनांक 06.02.2024 अपराह्न के प्रभाव से रिक्त हो गया है।
MLC ने दलितों के हक के लिए उठाई थी आवाज
बता दें कि रामबली सिंह चंद्रवंशी ने अति पिछड़ों को हक दिलाने के लिए महागठबंधन की सरकार में यात्रा निकाली थी, उनका कहना था कि बिहार सरकार में बैठे नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव अति पिछड़ों के साथ हकमारी कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर ने जिन जातियों को अति पिछड़ा माना था, उसके साथ हकमारी हो ही है, नीतीश कुमार ने संपन्न और मजबूत जातियों को अति पिछड़ा घोषित कर दिया है, इससे जो वाकई अति पिछड़े हैं उनका हक मारा गया है, जिसके खिलाफ राजद नेता ने सभापति को पत्र लिखकर शिकायत की थी।
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