बिहार में शराबबंदी कानून को लागू हुए लगभग 8 साल का वक्त बीत चुका है। अप्रैल 2016 में बिहार सरकार ने पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की। इसके बाद से बिहार में शराब पीना, रखना, लाना सबकुछ अपराध की श्रेणी में आ गया। राज्य के जेलों में शराबियों की लंबी लाइन लग गई। लेकिन समय समय पर इस कानून के इम्प्लीमेंटेशन पर सवाल उठते रहे हैं। पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बनने की कोशिश कर रहे प्रशांत किशोर समेत कई दूसरे नेता शराबबंदी पर सवाल उठाते रहे हैं। अब एक मामला पटना हाई कोर्ट में आया है, जिसमें राज्य सरकार घिर रही है।
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दरअसल, पटना हाई कोर्ट में एक मामला ऐसा आया है जिसमें हाजमोला के कार्टन में रखी शराब को जब्त करने के चक्कर में हाजमोला को भी पुलिस ने जब्त कर लिया। अब पटना हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि किस कानून के तहत पूरा कार्टन जब्त किया गया। जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की बेंच में इस मामले की सुनवाई हो रही है। बेंच ने अब इस मामले में सरकार से जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि 26 फरवरी निर्धारित की है। आपको बता दें कि यह मामला मुजफ्फरपुर के मोतीपुर का है। इसमें हाजमोला के सीलबंद कार्टन की बड़ी खेप इलाहाबाद से मुजफ्फरपुर के लिए भेजी गई। पुलिस ने जब कार्टन की जांच की तो उसमें शराब की बोतलें मिली। इसके बाद पुलिस ने न सिर्फ शराब को जब्त किया, बल्कि हाजमोला सहित कार्टन भी जब्त कर लिए। इसके बाद हाजमोला के कार्टन को छुड़वाने के लिए उसके मालिक ने प्रयास जिला स्तर पर किया। लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली। तब यह मामला हाई कोर्ट में आया है। अब हाई कोर्ट इसमें सरकार से यह जानना चाहती है कि अवैध तो शराब थी। फिर हाजमोला के कार्टन किस कानून के तहत जब्त किए गए? मामले की सुनवाई 26 फरवरी को पटना हाई कोर्ट में होगी।