बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने राज्य में अपनी ताकत बढ़ाने और बताने की शुरुआत कर दी है। नई सरकार के गठन के वक्त मांझी अचानक चर्चा में तब आए थे जब उन्हें पाला बदलने के लिए मुख्यमंत्री बनने का ऑफर राजद की ओर से दिया गया था। लेकिन जीतन राम मांझी एनडीए के साथ बने रहे और नीतीश कुमार को नौवीं बार मुख्यमंत्री बने रहने में अपनी भूमिका निभाई। वैसे जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार से वफादारी पुराना हिसाब चुकाने के लिए की है। यह खुलासा खुद मांझी ने किया है। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार ने मुझे सीएम बनवाया और हमने उनकी सरकार गिरने से बचा ली। अब हिसाब बराबर हो गया। वोट का महत्व बताते हुए उन्होंने रामविलास पासवान के उस वोट की याद दिलाकर चिराग पासवान को निशाने पर भी लिया, जिससे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी।
कांग्रेस और AAP में डील डन, सीटों का बंटवारा पूरा
मांझी ने अपनी पार्टी के पंचायत स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश कुमार पर निशाना साधा। मांझी ने कहा कि “आपने (नीतीश कुमार) दूसरे के चक्कर में पड़कर हमें बाहर निकाल दिया। लेकिन फिर हम एक साथ हो गए तो यह बहुत अच्छी बात है। आपका स्वागत है।” वहीं विधानसभा में नीतीश सरकार के विश्वासमत परीक्षण की चर्चा करते हुए जीतनराम मांझी ने कहा कि “सरकार को बचाने के लिए 122 वोटों की जरूरत थी। उसमें एक भी कम हो जाता तो सरकार गिर जाती। सरकार को 125 वोट मिले। हमारे चार विधायक थे। हमसे पहले भी अन्य लोग संपर्क में थे। हमें सीएम बनने का ऑफिर भी दिया जा रहा था। लेकिन कह दिया था कि हम नीतीश कुमार के साथ रहेंगे। अगर हम साथ नहीं देते तो 121 वोट मिलते और सरकार नहीं बचती।
इसके बाद जीतन मांझी ने याद दिलाया कि “रामविलास पासवान ने अपना मत नहीं दिया तो एक वोट से अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार गिर गई।” जीतन मांझी ने यह भी कहा कि “हमारे आ जाने से जो 10 विधायक पीछे खड़े थे वे भी साथ आ गए और सरकार ने 130 का आंकड़ा हासिल किया। मेरे कहने का मतलब यह है कि हमको उन्होंने मुख्यमंत्री बनाया तो जीतन राम मांझी ने भी उनकी सरकार को बचा लिया और बदला चुका दिया।”