लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) के तारीखों की घोषणा भले ही अभी नहीं हुई हो लेकिन राजनीतिक दलों की तैयारी शुरू हो चुकी है। पहले समाजवादी पार्टी और फिर BJP ने सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। भाजपा ने पहली लिस्ट में 195 उम्मीदवारों की घोषणा की है। लेकिन इन सीटों में बिहार की कोई सीट नहीं है। बिहार में एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला अभी तक तैयार भी नहीं है। दूसरी ओर बिहार में राजद, कांग्रेस और वामदलों के गठबंधन ने भी सीट शेयरिंग फॉर्मूला अभी साझा नहीं किया है। लेकिन सीटों पर मंथन जारी है। सीट शेयरिंग के मामले में राजद अभी उस फार्मूले को अपनाने की कोशिश कर रहा है, जो जदयू के एनडीए में जाने से पहले भाजपा ने तैयार किया था। यानि भाजपा के सीट शेयरिंग फार्मूले को महागठबंधन में लागू कर राजद भाजपा को हराने की कोशिश कर सकता है।
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Loksabha Election 2024 में भाजपा कम से कम 30 सीटों पर लड़ना चाहती थी
जदयू के एनडीए में घर वापसी से पहले एनडीए की सीट शेयरिंग के फार्मूले में ज्यादा मुश्किल नहीं थी। चर्चा थी कि भाजपा खुद 30 या उससे एक-दो सीटें अधिक अपने पास रखकर अपने सहयोगियों को बाकी सीटें देना चाहती थी। कमोबेश सभी सहयोगी तैयार भी हो रहे थे। भाजपा की प्लानिंग थी कि चिराग पासवान और पशुपति पारस को मिलाकर 6 सीटें दी जाती। जबकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक सीट मिलती। हम सेक्युलर के लिए भी एक सीट निर्धारित की गई थी, जिस पर जीतन राम मांझी चुनाव लड़ते। यानि भाजपा अपने हिस्से 32 सीटें रखना चाहती थीं। इसमें सहयोगियों को मनाने की कोशिश में एक या दो सीट और भाजपा रिलीज कर सकती थी। लेकिन जदयू के एनडीए में आने के बाद वो सीट शेयरिंग फार्मूला ध्वस्त हो गया।
अब भाजपा के फार्मूले को राजद कर रहा अपनाने की कोशिश
महागठबंधन में जब तक जदयू थी, तब तक यह माना जा रहा था कि जदयू और राजद बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। लेकिन जदयू के निकलने के बाद राजद के पास अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका है। चर्चा है कि राजद इसी मौके को भुनाते हुए कांग्रेस और वाम दलों पर यह दबाव बना रहा है कि राजद को 30 सीटों पर चुनाव लड़ने दिया जाए। शेष 10 सीटों 8 सीटें कांग्रेस रखे और 2 सीटों पर लेफ्ट के दल चुनाव लड़ें। इस फार्मूले को फाइनल तो नहीं किया गया है लेकिन इतना जरुर माना जा रहा है कि राजद हर हाल में 25 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
आपको बता दें कि 2024 के चुनाव में मौजूदा स्थिति के हिसाब से एनडीए की स्थिति तो लगभग 2019 की तरह हो गई है। लेकिन महागठबंधन में बदलाव हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद का गठबंधन कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी के साथ था। राजद ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था। सभी सीटों राजद को हार मिली। कांग्रेस ने 9 सीटों पर चुनाव लड़कर 1 सीट पर जीत दर्ज की थी। रालोसपा ने 5 उम्मीदवार उतारे थे। वीआईपी और हम 3-3 सीटों पर चुनाव लड़े थे। कांग्रेस के एक उम्मीदवार को छोड़कर महागठबंधन के किसी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली थी। लेकिन बड़ा बदलाव यह भी था कि वाम मोर्चा ने तीसरे मोर्चे के तहत चुनाव लड़ा, जो इस बार साथ हैं। ऐसे में महागठबंधन में सीटों का बंटवारा आसान नहीं है। राजद खुद को सबसे बड़ी पार्टी कहते हुए अधिक सीटों पर दावा जरुर करेगी लेकिन सहयोगी यह भी कहने से नहीं चूकेंगे कि बड़ी पार्टी होने के बावजूद राजद कोई सीट पिछले चुनाव में नहीं जीत सका था। दूसरी ओर राजद की कोशिश है कि भाजपा के फार्मूले से भाजपा को मात बिहार में देने के लिए अधिक से अधिक सीटों पर राजद और एनडीए के बीच सीधा मुकाबला हो।