सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक, SBI) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के सारे आंकड़े चुनाव आयोग के पास जमा करा दिए हैं। अब चुनाव आयोग इन आंकड़ों को 15 मार्च 2024 को शाम 5 बजे तक सार्वजनिक करेगा। आंकड़ों को जमा करने के साथ एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट भी दायर किया गया है, जिसमें कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं, जो बताती हैं कि देश में कुल कितने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए और कितनों को राजनीतिक पार्टियों ने भुनाया।
सुप्रीम कोर्ट में जमा किए गए एफिडेविट से ये जानकारी मिलती है कि देश के अंदर 1 अप्रैल 2019 से 11 अप्रैल 2019 तक कुल 3,346 बॉन्ड खरीदे गए। जबकि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक कुल 18, 872 बॉन्ड खरीदे गए। इस तरह देश में कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। एसबीआई डेटा के अनुसार खरीदे गए कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड में से 22,030 बॉन्ड ही राजनीतिक दलों ने कैश कराए। यानी 187 बॉन्ड ऐसे थे जिनका चंदा किसी राजनीतिक दल को नहीं मिला। ऐसे में चुनावी बॉन्ड से जुड़े नियमों के मुताबिक इन 187 बॉन्ड की राशि को प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा कर दिया गया। इलेक्टोरल बॉन्ड के कानून के मुताबिक अगर कोई चुनावी बॉन्ड खरीद की तारीख से 15 दिन के भीतर इन-कैश नहीं कराया जाता है, तो एसबीआई उसे प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा देता है। इससे दान देने वाले की टैक्स लायबिलिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिस तरह चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को चंदा या दान देने पर दानदाता को उतनी राशि पर 100 प्रतिशत कर छूट मिलती है, ठीक उसी तरह प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा की गई राशि पर भी आयकर कानून के तहत 100 प्रतिशत कर छूट मिलती है।
इससे पहले 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन मानते हुए असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद एसबीआई को इससे जुड़ा सारा डेटा 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपने का भी आदेश दिया था। लेकिन एसबीआई ने इसके लिए 30 जून तक का एक्सटेंशन मांगा था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए एसबीआई की एक्सटेंशन याचिका पर 11 मार्च को सुनवाई की और एसबीआई को सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंपने का 12 मार्च की शाम तक का अल्टीमेटम (आखिरी वक्त) दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त आदेश के बाद आखिरकार एसबीआई ने सारा डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है, जिससे ये कुछ बातें उजागर हुई हैं। बाकी तो अब 15 मार्च को चुनाव आयोग द्वारा सारा डेटा सार्वजनिक करने के बाद ही पूरी बात सामने आएगी।