पेटीएम पर आरबीआई के एक्शन के 2 महीने से ज्यादा समय हो गए हैं। अभी भी कंपनी की मुसीबतें कम नहीं हुई हैं। आरबीआई की कार्रवाई के बाद पहले तो पेमेंट्स बैंक का ऑपरेशन बंद हुआ। दूसरी ओर यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम के शेयर में हर महीने गिरावट आ रही है, जिसका फायदा प्रतिस्पर्धी कंपनियों को मिल रहा है।
पहली बार 10 फीसदी से कम हिस्सेदारी
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के अनुसार, मार्च में यूपीआई लेन-देन में पेटीएम की हिस्सेदारी घटकर 9 फीसदी पर पहुंच गई। फरवरी में टोटल यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम की हिस्सेदारी 11 फीसदी थी। जनवरी में यूपीआई ट्रांजेक्शंस में पेटीएम की हिस्सेदारी 11.8 फीसदी थी।
जनवरी में पेटीएम ने 1.4 बिलियन यूपीआई पेमेंट को प्रोसेस किया था, जो कम होकर फरवरी में 1.3 बिलियन पर आ गया। मार्च में और घटकर पेटीएम द्वारा प्रोसेस किए गए पेटीएम ट्रांजेक्शन की संख्या 1.2 बिलियन रह गई। आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर जनवरी के अंत में कार्रवाई की थी। इसका मतलब हुआ कि आरबीआई के एक्शन के बाद यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम का शेयर हर महीने घट रहा है।
गूगलपे और फोनपे को फायदा
पेटीएम के नुकसान से प्रतिस्पर्धी कंपनियों को फायदा हो रहा है। जनवरी बाद से गूगलपे और फोनपे की यूपीआई ट्रांजेक्शन में हिस्सेदारी बढ़ी है। मार्च में गूगलपे ने 6.3 फीसदी की बढ़त के साथ 5 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन किया, जो कि जनवरी में 4.4 बिलियन पर था। फरवरी में 4.7 बिलियन हो गया था। फोनपे ने 5.2 फीसदी की बढ़त के साथ मार्च में 6.5 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन कर नंबर-1 बनी. फोनपे ने फरवरी में 6 बिलियन और जनवरी में 5.7 बिलियन ट्रांजेक्शन किया था।
पहले सिर्फ पेटीएम के पास था आधा बाजार
यूपीआई ट्रांजेक्शन के मामले में पहले पेटीएम का वर्चस्व था। साल 2018 से साल 2019 के दौरान कुल यूपीआई ट्रांजेक्शन में अकेले पेटीएम की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक थी। बाजार में धीरे-धीरे गूगलपे, फोनपे, मोबिक्विक समेत अन्य कंपनियां आईं और पेटीएम का शेयर कम होता गया। अब आरबीआई के एक्शन के बाद पेटीएम की हिस्सेदारी तेजी से गिरी है। कभी ट्रांजेक्शन के मामले में पेटीएम पहले नंबर पर थी, लेकिन अब फोनपे और गूगलपे की तुलना में इसकी हिस्सेदारी कई गुना कम है।