लोकसभा चुनाव में जहां एक तरफ लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव बिहार समेत देश से मोदी सरकार का सुपड़ा साफ करने का दम भर रहे हैं, वहीं उनकी पार्टी राजद में ही भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई है। बीते दिनों पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम और पूर्व मंत्री वृषिण पटेल के इस्तीफे के बाद बागी हुए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव ने भी आज पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। देवेंद्र यादव ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
देवेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राजद में जो राजनीति चल पड़ी है वो केवल ‘राज’ के लिये है, उसमें नीति नहीं है, जबकि राज और नीति दोनों का सामंजस्य होना लाजमी था। राजद में दोनों का सामंजस्य दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। ऐसे में एक क्षण भी इस पार्टी में रहना मेरे लिए संभव नहीं है। मैं पार्टी के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।
अपने इस्तीफे में देवेंद्र प्रसाद ने लिखा है कि मैं ऐसा महससू करने लगा हूं कि इस तरह की राजनीति से नीति पूरी तरह नदारत हो चली है। उन्होंने कहा कि सिद्धान्त के बिना राजनीति मतलब आत्मा के बिना मात्रा शरीर। यदि किसी भी समाजवादी विचारधारा वाला कार्यकर्ता को पार्टी महागठबंधन के तहत झंझारपुर का या अन्य आधे दर्जन जगहों में जो उम्मीदवारों का आयात किया गया है, वैसे जगहों में पार्टी के मान्य विचारधारा वाले पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता या समर्पित नेता को पार्टी का टिकट दिया जाता तो मुझे कोई शिकवा-शिकायत नहीं होती।
उन्होंने आगे लिखा कि पार्टी में सांप्रदायिक शक्ति के पोषक दलों से पैराशटू से एक दिन में उतारकर उम्मीदवार बनाने की जो कार्य संस्कृति पनप गई है, उससे पूरी तरह घुटन महसूस कर रहा हूं और आश्चर्य चकित भी हूं। मेरी अंतरात्मा कह रही है कि अब राजद में एक क्षण भी बना रहना असहज सा हो गया है।